कलयुग के वेद व्‍यास मुंशी प्रेमचंद

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मुंशी प्रेमचन्‍द की लोकप्रियता का कारण है- उनकी रचनाओं का साधारण, सरल व सहज होना। उनकी रचनाओं में उकेरी गई समस्‍याएं हमारी निजी समस्‍याएं हैं। जो समस्‍याएं मुंशी जी ने सौ वर्ष पहले उठाईं, आज भी उनकी प्रासंगिकता जस की तस है- यही उनके कालजयी रचनाकार होने का सबसे बड़ा कारण है। इसमें कोई संदेह नहीं कि युग-पर्यंत उनकी रचनाओं की प्रासंगिकता अक्षुण्‍ण रहेगी। अत प्रेमचन्‍द को भारतीय समाज का गुणदृष्‍टा साहित्‍यकार कहा जा सकता है। प्रस्‍तुत पुस्‍तक में मुंशी प्रेमचन्‍द की जीवनी से संबंधित समस्‍त जानकारी संग्रहित है। आशा है, इसके अध्‍ययन से पाठकबंधु अत्‍यंत लाभांवित होंगे।

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कलयुग के वेद व्‍यास मुंशी प्रेमचंद
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मुंशी प्रेमचन्‍द की लोकप्रियता का कारण है- उनकी रचनाओं का साधारण, सरल व सहज होना। उनकी रचनाओं में उकेरी गई समस्‍याएं हमारी निजी समस्‍याएं हैं। जो समस्‍याएं मुंशी जी ने सौ वर्ष पहले उठाईं, आज भी उनकी प्रासंगिकता जस की तस है- यही उनके कालजयी रचनाकार होने का सबसे बड़ा कारण है। इसमें कोई संदेह नहीं कि युग-पर्यंत उनकी रचनाओं की प्रासंगिकता अक्षुण्‍ण रहेगी। अत प्रेमचन्‍द को भारतीय समाज का गुणदृष्‍टा साहित्‍यकार कहा जा सकता है। प्रस्‍तुत पुस्‍तक में मुंशी प्रेमचन्‍द की जीवनी से संबंधित समस्‍त जानकारी संग्रहित है। आशा है, इसके अध्‍ययन से पाठकबंधु अत्‍यंत लाभांवित होंगे।

Additional information

Author

Maheshwar Mishra

ISBN

8128811959

Pages

160

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128811959