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कालसर्प योग

150.00

फलित ज्‍योतिष में कालसर्प योग को गंभीर रूप से मृत्‍युकारी माना गया है। सामान्‍यत जन्‍म कुंडली में जब सारे ग्रह राहु केतु के बीच कैद हो जाते हैं तो काल सर्पयोग की स्थिति बनती है। जो मृत्‍यु कारक है या दूसरे ग्रहों के सुप्रभाव से मृत्‍यु न हो तो मृत्‍युतुल्‍य कष्‍टों का कारण बनती है। ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार राहु सर्प का मुख है और केतु सर्प की पूंछ। ग्रहों की स्‍थतियों के अनुसार कुल 62208 प्रकार के कालसर्प योग गिने जाते हैं।
प्रस्‍तुत पुस्‍तक में पंडित भोजराज द्विवेदी ने इन विविध कालसर्प योगों के विषय में विस्‍तार से चर्चा की है और कालसर्प शांति के विषय में भी उपाय बताए हैं। पुस्‍तक में विशिष्‍ट स्थितियों को दर्शाती हुई अनेकों महान विभूतियों की कुंडलियां भी दी गई है, जिनकी जीवन परिणति सर्वविदित है।

150.00

In stock

Kalsarp Yog

Additional information

Author

Bhojraj Dwivedi

ISBN

8128814931

Pages

392

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128814931

SKU 9788128814938 Category