कुंडलिनी और समाधि

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‘कुडलिनी और समाधि’ पुस्‍तक के आखिर में कुछ शीर्षक कुंडलिनी-शक्ति और शरीर के सात चक्रों से संबंधित है आध्‍यात्मिक साधना के संदर्भ में आज कुंडलिनी जागरण आदि शब्‍द बहुत प्रचलित हो रहे हैं। सूक्ष्‍म शरीर में स्थित सात चक्रों को अब किसी न किसी रूप में वैज्ञानिक आधार मिल रहा है। लेखक ने ‘प्राणवायु’, नाड़ियां, जाप महत्‍व, श्‍वांस की प्रक्रिया और व्‍यक्ति परिवर्तन, मनोगत समाधि की झलक और त्रिनेत्र साधना जैसे अनेका-अनेक आयामों को कुंडलिनी-जागरण के हाथ जोड़ते हुए ‘कुंडलिनी और समाधि’ को संभावनाओं को पाठक के हृदय तक पहुंचाने का बहुत सार्थक प्रयास किया है। प्रस्‍तुत पुस्‍तक में स्‍वामी ज्ञानभेद ने यथासंभव बुद्धि के तल पर साधक को जितना कुछ दिया जा सकता है, देने का प्रयास किया है इसके लिये उन्‍होंने रेखाचित्र और चार्ट आदि का सहारा भी लेने से गुरेज नहीं किया है निश्चित ही इस तरह के साधन, विषय को बोधमग्‍य तो बनाते ही है।

Additional information

Author

Gyan Bhed

ISBN

8128807986

Pages

168

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128807986

‘कुडलिनी और समाधि’ पुस्‍तक के आखिर में कुछ शीर्षक कुंडलिनी-शक्ति और शरीर के सात चक्रों से संबंधित है आध्‍यात्मिक साधना के संदर्भ में आज कुंडलिनी जागरण आदि शब्‍द बहुत प्रचलित हो रहे हैं। सूक्ष्‍म शरीर में स्थित सात चक्रों को अब किसी न किसी रूप में वैज्ञानिक आधार मिल रहा है। लेखक ने ‘प्राणवायु’, नाड़ियां, जाप महत्‍व, श्‍वांस की प्रक्रिया और व्‍यक्ति परिवर्तन, मनोगत समाधि की झलक और त्रिनेत्र साधना जैसे अनेका-अनेक आयामों को कुंडलिनी-जागरण के हाथ जोड़ते हुए ‘कुंडलिनी और समाधि’ को संभावनाओं को पाठक के हृदय तक पहुंचाने का बहुत सार्थक प्रयास किया है। प्रस्‍तुत पुस्‍तक में स्‍वामी ज्ञानभेद ने यथासंभव बुद्धि के तल पर साधक को जितना कुछ दिया जा सकता है, देने का प्रयास किया है इसके लिये उन्‍होंने रेखाचित्र और चार्ट आदि का सहारा भी लेने से गुरेज नहीं किया है निश्चित ही इस तरह के साधन, विषय को बोधमग्‍य तो बनाते ही है।

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