चाहत/ समर्पण/ त्याग
उसने उसे यह एहसास दिलाया कि वो उसे चाहत की हद से ज्यादा चाहती है और वो सोते-जागते, उठते-बैठते हर घड़ी उसी के सपने देखने लगा। उसे लगने लगगा कि मुझे सच ही चाहत की गहराई से भी ज्यादा चाहती है और वह उसके प्यार में पागल हो गया।
यह ठीक है कि खुदा ने उसे बेपनाह हुस्न से नवाजा था लेकिन उसे यह क्या अख्तियार था कि उसे अपनी चाहत में पागल ही कर दे। …और यह चाहत ही उसकी मौत का कारण बन जाए। एक ऐसी प्रेम कहानी जो आपको बर्षों याद रहेगी।
क्यों नहीं प्यार है
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चाहत/ समर्पण/ त्याग
उसने उसे यह एहसास दिलाया कि वो उसे चाहत की हद से ज्यादा चाहती है और वो सोते-जागते, उठते-बैठते हर घड़ी उसी के सपने देखने लगा। उसे लगने लगगा कि मुझे सच ही चाहत की गहराई से भी ज्यादा चाहती है और वह उसके प्यार में पागल हो गया।
यह ठीक है कि खुदा ने उसे बेपनाह हुस्न से नवाजा था लेकिन उसे यह क्या अख्तियार था कि उसे अपनी चाहत में पागल ही कर दे। …और यह चाहत ही उसकी मौत का कारण बन जाए। एक ऐसी प्रेम कहानी जो आपको बर्षों याद रहेगी।
Additional information
Author | Vipin Kumar |
---|---|
ISBN | 9788128839962 |
Pages | 96 |
Format | Paper Back |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128839969 |