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गुरु गोविंद दो खड़े (कबीर वाणी)-0

गुरु गोविंद दो खड़े (कबीर वाणी)

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Guru Govind Dou Khade(Kabir Vani)

Additional information

Author

Osho

ISBN

817182840X

Pages

168

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

817182840X

गुरु गोविंद दोऊ खड़े काको लागूं पायं।
बलिहारी गुरु आपने जिन गोविंद दियो बताय।।
इस सूत्र के दो अर्थ हो सकते हैं-दो प्रीतिकर हैं।
पहला अर्थ – ‘‍बलिहारी गुरु आपने जिन गोविंद दियो बताय।‘ तो कबीर कहते हैं कि बलिहारी गुरु तुम्‍हारी कि जब मैं दुविधा में था, तुमने तत्‍क्षण इशारा कर दिया कि गोविंद के पैर छुओ। क्‍योंकि मैं तो यहां तक था। मैं तो राह पर लगे हुए मील के पत्‍थर की तरह था, जिसका इशारा था, आ गया, मंजिल आ गई अब मेरा कोई काम नहीं। अब तुम गुरु को छोड़ो गोविंद के पैर छू लो।
दूसरा अर्थ है- ‘गुरुगोविंद दोऊ खड़े काको लागू पायं। बलिहारी गुरु बलिहारी गुरु आपने जिन गोविंद दियो बताय।।‘ दुविधा में हूं, किसके पैर लगूं। गुरु के ही पैर छुए, क्‍योंकि उसकी ही बलिहारी है,उसकी ने गोविन्‍द को बताया है।
प्रस्तुत पुस्‍तक में कबीर-वाणी पर ओशो द्वारा दिए गए कुछ प्रवचनों को संकलित किया गया है।

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