चंदन पानी

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दिव्या का काव्य सृजन संस्कृति को सहेजने का एक खूबसूरत माध्यम है और चंदन पानी उसी का सार्थक प्रतिफल है, रचनाकार की दृष्टि की व्यापकता के साथ साथ उसके मर्म के फलक का भी अनायास ही पता चल जाता है।
दिव्या जी की कविताएं जहां एक ओर मानव जीवन की सारहीनता, क्षणभंगुरता, छलना, असंतोष की वाणी देती है, वहां जीवन के उल्‍लास को भी मन में समेटे चलती हैं।
दिव्या की कविताएं वस्तुत हस्‍ततंत्री से स्वत निसृत शक्तिशाली संचारी भाव का ऐसा भावप्रवण प्रवाह है कि प्रतीत होता है कि कवियत्री ने अपनी समग्र रचनाधर्मिता को प्रिज्म बनाकर शब्दफलक पर संपूर्ण जीवन के जीवंत अनुभावों का अनायास परंतु सशिल्प मनोहारी इंद्रधनुष साकार कर दिया हो जिसके आलोक में अनुभूतियां पाठक पर अमिट छाप अंकितकरने में सर्वथा समर्थ सिद्ध है। कवियत्री प्रतिभा के साथ साथ युगबोध, लोकचेतना, सृजनधर्मिता, संवेदनशीलता आदि भरपूर मुखर है।
ये कविताएं अगर कहीं हमें कचोटती हैं, कहीं झकझोरती है तो कहीं आंखों के कोरों को आंसुओं से भर देती हैं। ये संवेदनाएं एक भारतीय मन की हैं, नारीमन की हैं, आहत मानवीयता की हैं, हमारी हैं, आपकी हैं।

Additional information

Author

Divya Mathur

ISBN

8128814524

Pages

120

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128814524

दिव्या का काव्य सृजन संस्कृति को सहेजने का एक खूबसूरत माध्यम है और चंदन पानी उसी का सार्थक प्रतिफल है, रचनाकार की दृष्टि की व्यापकता के साथ साथ उसके मर्म के फलक का भी अनायास ही पता चल जाता है।
दिव्या जी की कविताएं जहां एक ओर मानव जीवन की सारहीनता, क्षणभंगुरता, छलना, असंतोष की वाणी देती है, वहां जीवन के उल्‍लास को भी मन में समेटे चलती हैं।
दिव्या की कविताएं वस्तुत हस्‍ततंत्री से स्वत निसृत शक्तिशाली संचारी भाव का ऐसा भावप्रवण प्रवाह है कि प्रतीत होता है कि कवियत्री ने अपनी समग्र रचनाधर्मिता को प्रिज्म बनाकर शब्दफलक पर संपूर्ण जीवन के जीवंत अनुभावों का अनायास परंतु सशिल्प मनोहारी इंद्रधनुष साकार कर दिया हो जिसके आलोक में अनुभूतियां पाठक पर अमिट छाप अंकितकरने में सर्वथा समर्थ सिद्ध है। कवियत्री प्रतिभा के साथ साथ युगबोध, लोकचेतना, सृजनधर्मिता, संवेदनशीलता आदि भरपूर मुखर है।
ये कविताएं अगर कहीं हमें कचोटती हैं, कहीं झकझोरती है तो कहीं आंखों के कोरों को आंसुओं से भर देती हैं। ये संवेदनाएं एक भारतीय मन की हैं, नारीमन की हैं, आहत मानवीयता की हैं, हमारी हैं, आपकी हैं।

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