प्रस्तुत पुस्तक में संहिताओं व मूल ग्रंथों को आधर माना गया है। विभिन्न जन्म कुंडलियों के फलादेश करते समय अनेक प्रश्न लेखक के सामने आए। इन प्रश्नों ने लेखक को फलित ज्योतिष के प्रति नए दृष्किोण से देखने को विवश किया। परंपरा ही मौलिकता की जननी है। आधुनिक युग के परिप्रेक्ष्य में मनोवैज्ञानिक व विज्ञान की धराओं ने लेखक को प्रभावित किया है। जीवन की समग्रता का इसमें समावेश है। इस ग्रंथ में परंपरा पुनर्मूल्यांकन व मौलिकता का सामंजस्य है, वस्तुतः यह सुधीजनों के चिंतन का विषय है।”
About Author
“पं. रमेश उपाध्याय का जन्म 2 अक्टूबर, 1946 को मध्य प्रदेश के दतिया जिले में हुआ। उन्होंने पीतांबरा पीठ, राष्ट्र गुरु श्री स्वामी जी के चरणों में ज्योतिष एवं तंत्र-मंत्र का अध्ययन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। उनके अनेक लेख राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। देश के शीर्षस्थ राजनेता ज्योतिष संबंधी फलादेश जानने के लिए निरंतर उनके संपर्क में आते रहते हैं।