टोपी बहादुर

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आजादी से पहले रायबहादुरों का देश रहा इंडिया, आजादी के बाद टोपी बहादुरों का देश ‘भारत’ हो गया है। टोपी की तासीर ही ऐसी है कि कायर के सर पर लग जाए तो वह भी टोपी बहादुर बन जाता है। इतिहास गवाह है कि स्वतंत्रता आंदोलन में सेनानियों ने अगर अपने सर पर टोपी न लगाई होती तो अंग्रेज कभी डर के मारे सर पर पांव रखकर इंडिया नहीं छोड़ते। कहते हैं कि गांधी टोपी से अंग्रेज ऐसे ही बिदकते थे जैसे लाल कपड़े से सांड़। और इस पर भी कमाल यह कि गांधीजी ने खुद कभी टोपी नहीं पहनी मगर पूरे देश को टोपी पहना दी और अंग्रेज सरकार की टोपी भूगोल से उछालकर इतिहास में डाल दी।

अब हमारा देश बाकायदा टोपी बहादुरों का देश बन चुका है। मुहल्ले के बहादुर से लेकर नेता तक, जिसे देखो सभी टोपियों से लैस हैं। यत्र-तत्र-सर्वत्र टोपियां-ही-टोपियां। चपरासी की टोपी, अफसर की टोपी। शायर की टोपी, कव्वाल की टोपी। हिमाचल की टोपी, कश्मीर की टोपी। सत्ता दल की टोपी। विपक्ष की टोपी। पूंजीपति की टोपी, मजदूर-किसान की टोपी। भक्ति की टोपी, सैनिक की टोपी। हालत यह है कि जिस सर पर टोपी लगी वही सर फटाक से टोपिया जाता है।

अब टोपीचंद, टोपानंद, टोपेश्वरप्रसाद सिंह, टोपासिंह विभिन्न नस्लों एवं नामों के टोपी बहादुर देश में कश्मीर से कन्याकुमारी और अटक से कटक तक इफरात में मिल जाएंगे। हालत यह है कि अब देश में इन्सान कम और टोपी बहादुर ही ज्यादा हो गए हैं। टोपी की लोकप्रियता का आलम यह है कि हवाई जहाज में एअर होस्टेज तक टोपियां लगाए मिल जाती हैं। जमीन से आसमान तक बस टोपियां-ही-टोपियां। गांधीजी ने अपने आंदोलन का श्रीगणेश दक्षिण अफ्रीका से किया था।

दक्षिण अफ्रीका के लोगों ने गांधीजी और गांधी-टोपी के सम्मान में अपने एक शहर का नाम ही केपटाउन रख दिया। टोपी का रुतबा ही ऐसा है। यह टोपी बड़ी बलवर्धक, यशवर्धक, धनवर्षक और आकर्षक होती है।

टोपी बहादुर-0
टोपी बहादुर
400.00

Topi Bahadur In Hindi

Additional information

Author

Pt. Suresh Neerav

ISBN

9789352610655

Pages

144

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Power Learning

ISBN 10

9352610652