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‘तंत्र’ एक चमत्कारी, प्रत्यक्ष सिद्ध एवं रहस्यमय विद्या है। जिसने इसको जितना समझ, उसने उतना ही अलौकिक शक्ति के इस सान्निध्य को पहचाना और प्राप्त किया। मनुष्य जीवन अदृश्य–शक्तियों के महासमुद्र से घिरा हुआ है वह प्रतिदिन चमत्कार देखता है और इन चमत्कारों की गहराई तक उतरना भी चाहता है। जड़ व चेतन, स्थूल व सूक्ष्म, भौतिक व आध्यात्मिक के विभिन्न आयामों में यह सारा संसार विभाजित है।
इस पुस्तक में तंत्र की विस्तृत परिभाषा, उसके भेद के पश्चात् तंत्रशास्त्र में पंचमकारों के सही रहस्य को मैंने समझाने की चेष्टा की है। प्रेतात्माओं के अस्तित्व के देश व विदेशों में प्रचलित धारणाओं को स्पष्ट किया है। तंत्र विद्या और षट्कर्म पर प्रकाश डालते हुए दीक्षा के बिना मंत्र सिद्ध नहीं होते, इस बात को उदाहरणपूर्वक बतलाया गया है तंत्रोक्त दस महाविद्या पर प्रमाणिक साहित्य प्रस्तुत करने की भी मेरी चेष्टा रही है। इस संदर्भ में मूल सामग्री की आवधारणा में ‘शक्तप्रमोद’ एवं कल्याण के ‘शक्ति अंक’ का सहयोग रहा है। कुछ सच्चे दृष्टांत ‘अलौकिक रहस्य’ नामक पुस्तक से संग्रहित हैं। अत उनका भी आभार प्रदर्शित करता हूं। श्मशान साधना की गूढ़ सिद्धि का दिग्दर्शन करते हुये शाबरमंत्रों की विशिष्टता समझाई है। और इस संदर्भ में गोरखनाथ के दो सिद्ध मंत्र भी दिये हैं। पारद की महिमा को परिलक्षित करते हुए पारदेश्वर की साधना पहली बार प्रकट हुई है।
तांत्रिक हनुमत्कल्प इस पुस्तक के तंत्रोक्त सामग्री की विशेष उपलब्धि है। इसी प्रकार अग्निहोत्र एवं यज्ञ के प्रायोगिक पहलू पर सारगर्भित चर्चा आप इस पुस्तक में पहली बार पढ़ पायेंगे। यद्यपि तंत्र महासागर है तथा एक पुस्तक में सारी सामग्री एवं सभी विषयों का संस्पर्श संभव नहीं है तथापि मेरा विश्वास है कि इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आस्तिक व नास्तिक सभी प्रकार के लोगों की यह शिकायत समाप्त हो जायेगी कि तंत्र पर कोई अच्छी व सरल पुस्तक बाजार में उपलब्ध नहीं है।
डॉ. भोजराज द्विवेदी
Author | Bhojraj Dwivedi |
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ISBN | 8171826016 |
Pages | 208 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8171826016 |
‘तंत्र’ एक चमत्कारी, प्रत्यक्ष सिद्ध एवं रहस्यमय विद्या है। जिसने इसको जितना समझ, उसने उतना ही अलौकिक शक्ति के इस सान्निध्य को पहचाना और प्राप्त किया। मनुष्य जीवन अदृश्य–शक्तियों के महासमुद्र से घिरा हुआ है वह प्रतिदिन चमत्कार देखता है और इन चमत्कारों की गहराई तक उतरना भी चाहता है। जड़ व चेतन, स्थूल व सूक्ष्म, भौतिक व आध्यात्मिक के विभिन्न आयामों में यह सारा संसार विभाजित है।
इस पुस्तक में तंत्र की विस्तृत परिभाषा, उसके भेद के पश्चात् तंत्रशास्त्र में पंचमकारों के सही रहस्य को मैंने समझाने की चेष्टा की है। प्रेतात्माओं के अस्तित्व के देश व विदेशों में प्रचलित धारणाओं को स्पष्ट किया है। तंत्र विद्या और षट्कर्म पर प्रकाश डालते हुए दीक्षा के बिना मंत्र सिद्ध नहीं होते, इस बात को उदाहरणपूर्वक बतलाया गया है तंत्रोक्त दस महाविद्या पर प्रमाणिक साहित्य प्रस्तुत करने की भी मेरी चेष्टा रही है। इस संदर्भ में मूल सामग्री की आवधारणा में ‘शक्तप्रमोद’ एवं कल्याण के ‘शक्ति अंक’ का सहयोग रहा है। कुछ सच्चे दृष्टांत ‘अलौकिक रहस्य’ नामक पुस्तक से संग्रहित हैं। अत उनका भी आभार प्रदर्शित करता हूं। श्मशान साधना की गूढ़ सिद्धि का दिग्दर्शन करते हुये शाबरमंत्रों की विशिष्टता समझाई है। और इस संदर्भ में गोरखनाथ के दो सिद्ध मंत्र भी दिये हैं। पारद की महिमा को परिलक्षित करते हुए पारदेश्वर की साधना पहली बार प्रकट हुई है।
ISBN10-8171826016
Occult and Vastu, Books, Diamond Books