मां धर्म ज्योति ने एक लंबे अरसे तक ओशो की शारीरिक मौजूदगी को जीया है, और अपने इस सफल में वह पल-पल उन लम्हों को सहेजती रहीं जो ओशो के छूने से जिंदा होते रहे। ये लम्हें बाहर तो इंद्रधनुषी आंसू बरसाते रहें और खुद भीतर जाकर सीप के मोती बनते रहे। यह शरीर के पार जाने वाले प्रेम का ही तिलिस्म है कि एक दिन अचानक इन मोतियों में भी अंकुर फूट आए और गाथाओं का एक वृक्ष बन गए सौ गाथाएं, दस हजार बुद्धों के लिए। आइए कुछ देर इन गाथाओं की हवा में जी लें। कुछ देर इनकी खुशबू को अपने दिल में महसूस कर लें आखिर, ये मोती हम सब की ही तो प्यास है।
दस हजार बुद्धों के लिए एक सौ गाथाएं
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मां धर्म ज्योति ने एक लंबे अरसे तक ओशो की शारीरिक मौजूदगी को जीया है, और अपने इस सफल में वह पल-पल उन लम्हों को सहेजती रहीं जो ओशो के छूने से जिंदा होते रहे। ये लम्हें बाहर तो इंद्रधनुषी आंसू बरसाते रहें और खुद भीतर जाकर सीप के मोती बनते रहे। यह शरीर के पार जाने वाले प्रेम का ही तिलिस्म है कि एक दिन अचानक इन मोतियों में भी अंकुर फूट आए और गाथाओं का एक वृक्ष बन गए सौ गाथाएं, दस हजार बुद्धों के लिए। आइए कुछ देर इन गाथाओं की हवा में जी लें। कुछ देर इनकी खुशबू को अपने दिल में महसूस कर लें आखिर, ये मोती हम सब की ही तो प्यास है।
ISBN10-8171828884
Additional information
Author | Dharam Jyoti |
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ISBN | 8171828884 |
Pages | 96 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8171828884 |