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दिन दिवंगत हुए (गीत)

75.00

रोज आहें भरीं, रोज आहत हुए
रात घायल हुईं, दिन दिवंगत हुए
कविता भी इसी स्मृति की शाब्दिक किंतु कलात्मक अभिव्क्ति है। कला के प्रधान गुणों में कल्पना भी एक आवश्यक गुण है। कल्पना हम उसी की कर सकते हैं, जो पहले देखा हो, या पहले देखे हुए की किसी छाया का पुनरावलोकन हो। इसीलिए कवि होने के क्षणों में हमें पूर्व घटित घटना को और उस घटना के प्रभाव को स्मृति में लाना पड़ता है।
दिन दिवंगत हुए गीत-संग्रह के गीत एक ओर प्रेम की विभिन्न दशाओं एवं अवस्थाओं के गीत हैं तो दूसरी ओर सौंदर्य की आकर्षक छवियों के गीत भी। लय, नाद और संगीत की दृष्टि से ये गीत गाए गीत हैं और गीति-साहित्य की अमूल्य निधि हैं। भाषा और शिल्प की दृष्टि से इन गीतों में ऐसा प्रवाह है कि पाठक और श्रोता दोनों के ही हृदय में ये गीत सीधे उतरते चले जाते हैं।

Additional information

Author

Kunwar Baichain

ISBN

8128810391

Pages

128

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128810391

रोज आहें भरीं, रोज आहत हुए
रात घायल हुईं, दिन दिवंगत हुए
कविता भी इसी स्मृति की शाब्दिक किंतु कलात्मक अभिव्क्ति है। कला के प्रधान गुणों में कल्पना भी एक आवश्यक गुण है। कल्पना हम उसी की कर सकते हैं, जो पहले देखा हो, या पहले देखे हुए की किसी छाया का पुनरावलोकन हो। इसीलिए कवि होने के क्षणों में हमें पूर्व घटित घटना को और उस घटना के प्रभाव को स्मृति में लाना पड़ता है।
दिन दिवंगत हुए गीत-संग्रह के गीत एक ओर प्रेम की विभिन्न दशाओं एवं अवस्थाओं के गीत हैं तो दूसरी ओर सौंदर्य की आकर्षक छवियों के गीत भी। लय, नाद और संगीत की दृष्टि से ये गीत गाए गीत हैं और गीति-साहित्य की अमूल्य निधि हैं। भाषा और शिल्प की दृष्टि से इन गीतों में ऐसा प्रवाह है कि पाठक और श्रोता दोनों के ही हृदय में ये गीत सीधे उतरते चले जाते हैं।
ISBN10-8128810391

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