नागपति मेरा वंदन ले लो

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जब से कश्‍मीर समस्‍या उत्‍पन्‍न हुई है तब से अनेक कवियों और लेखकों ने इस विषय पर अपनी कलम चलाई है, लेकिन हिंदी के जाने माने हस्‍ताक्षर श्री रविन्‍द्र शुल्‍क ‘रवि’ ने अपनी ओजपूर्व लेखनी से एक अभूतपूर्व रचना को प्रस्‍तुत किया है। इस रचना में कवि ने कल्‍पना की लंबी उड़ान भरने की बजाएयथार्थ के सुदृढ़ धरातल पर देशभक्ति का संचार तो किया है, साथ ही साथ उन नेताओं को भी आड़े हाथों लिया है जो इस समस्‍या के लिए पूर्ण रूप से उत्‍तरदायी है। जब से कश्‍मीर समस्‍या उत्‍पन्‍न हुई तब से अनेक कवियों और लेखकों ने इस विषय पर अपनी कलम चलाई है, लेकिन हिन्‍दीके जाने माने हस्‍ताक्षर श्री रविन्‍द्र शुक्‍ल ‘रवि’ने अपनी ओजपूर्व लेखनी से एक अभूतपूर्व रचना को प्रस्‍तुत किया है। इस रचनामें कवि ने कल्‍पना की लंबी उड़ान भरने की बजाए यथार्थ के सुदृढ़ धरातल पर देशभक्ति का संचार तो किया है, साथ ही साथ उन नेताओं को भी आड़े हाथों लिया है जो इस समस्‍या के लिए पूर्ण रूप से उत्‍तरदायी हैं। प्रस्‍तुत खंड काव्‍य ‘नगपति मेरा वंदन ले लो’ में शुक्‍ल जी ने भगवान शिव का आह्वान किया है कि वे उन लोगोंको सद्बुदि्ध दें जिनके हाथों में इस समस्‍या को सुलझाने की बागडोर है। एक विशुद्ध राजनैतिक समस्‍या के उपाय हेतु यह दैवीय आह्वान है कि वे इस संकल्‍प में राष्‍ट्र की सहायता करें।

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नागपति मेरा वंदन ले लो

Additional information

Author

Ravindra Shukl Ravi

ISBN

8128803387

Pages

160

Format

Paper Back

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128803387