नाना नानी की कहानियां

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बचपन के वे दिन हम सभी को आज भी याद आते हैं, जब हम नानी की गोद में सिर रखकर उनकी मीठी कहानियां सुनते-सुनते सो जाते थे। नानी की कहानी तो थोड़ी देर बाद खत्‍म हो जाती थी लेकिन उसके बाद शुरू होता था सुंदर स्‍वप्‍नों का सिलसिला। वे स्‍वप्‍न, जिनमें ये सारी रंग-बिरंगी कहानियां और उनके पात्र सजीव हो उठते थे। ऐसी मधुर स्‍मृतियां भला कभी धुंधली हो सकती हैं? ये तो वे यादें हैं, जो हमारा सबसे अमूल्‍य रत्‍न-भंडार हैं और हर माता-पिता की तरह हम अपनी यह विरासत आने वाली पीढ़ी को सौंपना चाहते हैं।
यही वह विचार था, जिसे भावनाओं की मिट्टी में बोया गया। फिर फूटा एक अंकुर विश्‍वास का, जो आज इस पुस्‍तक के रूप में आपके हाथों में है।
गीतिका गोयल

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नाना नानी की कहानियां
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बचपन के वे दिन हम सभी को आज भी याद आते हैं, जब हम नानी की गोद में सिर रखकर उनकी मीठी कहानियां सुनते-सुनते सो जाते थे। नानी की कहानी तो थोड़ी देर बाद खत्‍म हो जाती थी लेकिन उसके बाद शुरू होता था सुंदर स्‍वप्‍नों का सिलसिला। वे स्‍वप्‍न, जिनमें ये सारी रंग-बिरंगी कहानियां और उनके पात्र सजीव हो उठते थे। ऐसी मधुर स्‍मृतियां भला कभी धुंधली हो सकती हैं? ये तो वे यादें हैं, जो हमारा सबसे अमूल्‍य रत्‍न-भंडार हैं और हर माता-पिता की तरह हम अपनी यह विरासत आने वाली पीढ़ी को सौंपना चाहते हैं।
यही वह विचार था, जिसे भावनाओं की मिट्टी में बोया गया। फिर फूटा एक अंकुर विश्‍वास का, जो आज इस पुस्‍तक के रूप में आपके हाथों में है।
गीतिका गोयल

Additional information

Author

Geetika Goyal

ISBN

8128400800

Pages

32

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Fusion Books

ISBN 10

8128400800