न जन्‍म न मृत्‍यु

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जो भी जन्‍मता है, वह मरता है। जो भी उत्‍पन्‍न होता है, वह विनष्‍ट होता है। जो भी निर्मित होगा, वह बिखरेगा, समाप्त होगा। हमारे सुख-दुख, हमारी इस भ्रांति से जन्‍मते हैं कि जो भी मिला है वह रहेगा। प्रियजन आकर मिलता है, तो सुख मिलता है, लेकिन जो आकर मिलेगा, वह जाएगा। जहां मिलन है वहां विरह है मिलने में विरह को देख लें तो उसके मिलने का सुख विलीन हो जाता है और उसके विरह का दुख भी विलीन हो जाता है। जो जन्‍म में मृत्‍यु को देख ले उससे जन्म की सुखी विदा हो जाती है, उसकी मृत्‍यु का दुख हो जाता है और जहां सुख और दुख विदा हो जाते हैं वहां जो शेष रह जाता है, उसका नाम ही आनंद है।

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न जन्‍म न मृत्‍यु
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जो भी जन्‍मता है, वह मरता है। जो भी उत्‍पन्‍न होता है, वह विनष्‍ट होता है। जो भी निर्मित होगा, वह बिखरेगा, समाप्त होगा। हमारे सुख-दुख, हमारी इस भ्रांति से जन्‍मते हैं कि जो भी मिला है वह रहेगा। प्रियजन आकर मिलता है, तो सुख मिलता है, लेकिन जो आकर मिलेगा, वह जाएगा। जहां मिलन है वहां विरह है मिलने में विरह को देख लें तो उसके मिलने का सुख विलीन हो जाता है और उसके विरह का दुख भी विलीन हो जाता है। जो जन्‍म में मृत्‍यु को देख ले उससे जन्म की सुखी विदा हो जाती है, उसकी मृत्‍यु का दुख हो जाता है और जहां सुख और दुख विदा हो जाते हैं वहां जो शेष रह जाता है, उसका नाम ही आनंद है।

Additional information

Author

Osho

ISBN

9798189182914

Pages

272

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Fusion Books

ISBN 10

8189182919