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हरिवंशराय बच्चन छायावादोत्तर काल के हिन्दी के महानतम गीति-कवि हैं। कवि उद्भ्रांत के नाम लिखे उनके ये पत्र व्यक्तिगत तो अवश्य हैं, किंतु साहित्य, कला, संस्कृति, धर्म, अध्यात्म और दर्शन के अनेक अनछुए बिम्बों को पहली बार प्रस्तुत करने के कारण ये साहित्य के ऐसे दस्तावेज बन गए हैं जो बुद्धिजीवियों की विशिष्ट श्रेणी के साथ-साथ जन-सामान्य के लिए भी उतने ही उपयोगी हैं और अपना सार्वकालिक महत्व रखते हैं। कवि उद्भ्रांत द्वारा सम्पादित यह पुस्तक पत्र ही नहीं बच्चन मित्र है इस दृष्टि से विलक्षण है कि इसमें बच्चन जी के पत्रों के अतिरिक्त उनके अपने व लेखकीय परिवार के भी कुछेक सदस्यों के पत्र शामिल हैं। इसके अलावा, बच्चन जी के जीवनकाल में अथवा बाद में, श्री उद्भ्रांत द्वारा उन पर या उनसे संबंधित पुस्तकों पर लिखे गए लेख, संस्मरण, समीक्षाएं भी देने से यह पुस्तक पत्र-साहित्य की अन्यतम नजीर बन गई है और श्री उद्भ्रांत के अद्भुत सम्पादन कौशल का जीवंत प्रमाण भी। वर्ष १९६४ से प्रारंभ पत्रों का यह सिलसिला पत्रों के लेखक और उनके प्राप्तकर्ता दोनों के ही जीवन और साहित्य की महत्वपूर्ण यात्रा को प्रतिबिम्बित करता चलता है। डा. हजारी प्रसाद दिवेदी, पंत, दिनकर, मुक्तिबोध और केदारनाथ अग्रवाल जैसे महान साहित्यकारों के क्रम में बच्चन जी के ये पत्र उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर प्रस्तुत करते हुए डायमंड बुक्स गर्व का अनुभव करता है।
Author | Udbhrant |
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ISBN | 8128816578 |
Pages | 144 |
Format | Paper Back |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128816578 |
हरिवंशराय बच्चन छायावादोत्तर काल के हिन्दी के महानतम गीति-कवि हैं। कवि उद्भ्रांत के नाम लिखे उनके ये पत्र व्यक्तिगत तो अवश्य हैं, किंतु साहित्य, कला, संस्कृति, धर्म, अध्यात्म और दर्शन के अनेक अनछुए बिम्बों को पहली बार प्रस्तुत करने के कारण ये साहित्य के ऐसे दस्तावेज बन गए हैं जो बुद्धिजीवियों की विशिष्ट श्रेणी के साथ-साथ जन-सामान्य के लिए भी उतने ही उपयोगी हैं और अपना सार्वकालिक महत्व रखते हैं। कवि उद्भ्रांत द्वारा सम्पादित यह पुस्तक पत्र ही नहीं बच्चन मित्र है इस दृष्टि से विलक्षण है कि इसमें बच्चन जी के पत्रों के अतिरिक्त उनके अपने व लेखकीय परिवार के भी कुछेक सदस्यों के पत्र शामिल हैं। इसके अलावा, बच्चन जी के जीवनकाल में अथवा बाद में, श्री उद्भ्रांत द्वारा उन पर या उनसे संबंधित पुस्तकों पर लिखे गए लेख, संस्मरण, समीक्षाएं भी देने से यह पुस्तक पत्र-साहित्य की अन्यतम नजीर बन गई है और श्री उद्भ्रांत के अद्भुत सम्पादन कौशल का जीवंत प्रमाण भी। वर्ष १९६४ से प्रारंभ पत्रों का यह सिलसिला पत्रों के लेखक और उनके प्राप्तकर्ता दोनों के ही जीवन और साहित्य की महत्वपूर्ण यात्रा को प्रतिबिम्बित करता चलता है। डा. हजारी प्रसाद दिवेदी, पंत, दिनकर, मुक्तिबोध और केदारनाथ अग्रवाल जैसे महान साहित्यकारों के क्रम में बच्चन जी के ये पत्र उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर प्रस्तुत करते हुए डायमंड बुक्स गर्व का अनुभव करता है।
ISBN10-8128816578