पवन पुत्र हनुमान

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हिन्दु मान्यताओं के अनुसार श्री हनुमान भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त के रूप में रूप पूजे जाते हैं। वे महान भारतीय महाकाव्य रामायण एवं इसके विभिन्न रूपांतरों के प्रमुख पात्रा हैं। हनुमान शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों हन और मान से हुई है। हन का अर्थ है मृत या विनष्ट और मान का अर्थ है अभिमान। इस प्रकार हनुमान का अर्थ हुआ वह जिसका अभिमान नष्ट हो गया है। हनुमान ने राक्षस राजा रावण और भग वान राम के बीच हुए यु( में भाग लिया व यु( जिताने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। हनुमान की माता का नाम अंजलि और पिता का नाम केसरी था। उन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है। वायुदेव भी उनके ईश्वरीय पिता माने जाते हैं जिन्होंने उनके जन्म में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। हनुमान बचपन से ही बहुत चतुर एवं बुद्धिमान थे। वे भगवान राम के भक्त थे एवं उनकी पूजा करते थे। उन्हें भक्ति एवं त्याग का प्रतीक माना जाता है। भगवान श्रीराम के हृदय में हनुमान जी के लिए विशिष्ट स्थान था। आज भी रक्षा के देवता श्री हनुमान जी की मूर्ति भगवान श्रीराम के प्रत्येक मंदिर में उनके साथ पाई जाती है। अपने अंदर विद्यमान बुराइयों से मुक्ति पाने या उन पर विजय पाने की दृष्टि से हनुमान जी की पूजा की जाती है। उनकी पूजा दुष्प्रवृत्तियों ण्वं अन्य शक्तिशाली नकारात्मक उफर्जाओं से मोक्ष पाने के लिए की जाती है।

Additional information

Author

Simran Kaur

ISBN

9789383225675

Pages

24

Format

Paper Back

Language

Hindi

Publisher

Magazine

ISBN 10

938322567X

हिन्दु मान्यताओं के अनुसार श्री हनुमान भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त के रूप में रूप पूजे जाते हैं। वे महान भारतीय महाकाव्य रामायण एवं इसके विभिन्न रूपांतरों के प्रमुख पात्रा हैं। हनुमान शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों हन और मान से हुई है। हन का अर्थ है मृत या विनष्ट और मान का अर्थ है अभिमान। इस प्रकार हनुमान का अर्थ हुआ वह जिसका अभिमान नष्ट हो गया है। हनुमान ने राक्षस राजा रावण और भग वान राम के बीच हुए यु( में भाग लिया व यु( जिताने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। हनुमान की माता का नाम अंजलि और पिता का नाम केसरी था। उन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है। वायुदेव भी उनके ईश्वरीय पिता माने जाते हैं जिन्होंने उनके जन्म में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। हनुमान बचपन से ही बहुत चतुर एवं बुद्धिमान थे। वे भगवान राम के भक्त थे एवं उनकी पूजा करते थे। उन्हें भक्ति एवं त्याग का प्रतीक माना जाता है। भगवान श्रीराम के हृदय में हनुमान जी के लिए विशिष्ट स्थान था। आज भी रक्षा के देवता श्री हनुमान जी की मूर्ति भगवान श्रीराम के प्रत्येक मंदिर में उनके साथ पाई जाती है। अपने अंदर विद्यमान बुराइयों से मुक्ति पाने या उन पर विजय पाने की दृष्टि से हनुमान जी की पूजा की जाती है। उनकी पूजा दुष्प्रवृत्तियों ण्वं अन्य शक्तिशाली नकारात्मक उफर्जाओं से मोक्ष पाने के लिए की जाती है।

ISBN10-938322567X

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