बूझे बिरला कोई

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इस पुस्‍तक का नाम ‘बुझे बिरला कोई’ कबीर के एक पद का सूत्र का है। रहस्‍यदर्शी कबीर स्‍वयं एक रहस्‍य हैं-एक ऐसा रहस्‍य, जिसे कोई विरला व्‍यक्ति ही बूझ सकता है, विरला व्‍यक्ति, जो कबीर की ही अवस्‍था में पहुंच गया हो।
ओशो ऐसे ही अबूझ्‍ व्‍यक्तिहैं अष्‍टावक्र, बुद्ध, महीवीर, गोरख नानक, कबीर, मीरा, रैदास, ये सब संबुद्ध् रहस्‍यदर्शी पूरी मनुष्‍य-जाति के अबूझ लोग हैं,जो सनातन काल से हमें अपने अबूझ्‍ जगत की ओर आकर्षित करते रहे हैं।
अपने मीठे प्रवचनों के माध्‍यम से ओशो उस अबूझ जगत् में हमारा आह्वान करते हैं, जिसकी अभिव्‍यक्ति कबीर ने उलटबांसियों के माध्‍यम से की है-
इस पुस्‍तक में कबीर-वाणी पर ओशो द्वारा दिए गए प्रवचनों में पांच प्रवचनों का संकलन प्रस्‍तुत है।

बूझे बिरला कोई -0
बूझे बिरला कोई
95.00

Bujhe Birla Koi(Kabir Vani)

Additional information

Author

Osho

ISBN

8171828280

Pages

160

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8171828280