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बेइरादा नजर उससे टकरा गई

150.00

‘बेइरादा नजर उनसे टकरा गई’ हिंदी के वयोवृद्ध साहित्‍यकार स्‍वामी ज्ञानभेद की आत्‍मकथा है। किशोरावस्‍था से ही स्‍वामी ज्ञानभेद की रुचि पठन-पाठन और लेखन में रही, लेकिन विधि के विधान ने उन्‍हें बिक्री-कर विभाग से संबंद्ध कर दिया। ज्ञानभेद जी निश्चित ही इस निहायत, गैर साहित्यिक, कला-विहीन विभाग में जीवन खपाने के लिए बहुत मन मारकर ही राजी होंगे

1993 में नौकरी से अवकाश पाते ही, हृदय के गर्त में एक समय से दफन बीज अंकुरित होने लगे। अध्‍यात्‍म और साहित्‍तय के अंकुर फूटने लगे। 1988 में ओशो साहित्‍य से जुड़ चुके थे। ओशो साहित्‍य से जुड़ चुके थे। ओशो साहित्‍य ने सोच में आमूल –चूल परिवर्तन तो किया ही, जीवनचर्य को भी एक सौ अस्‍सी अंश तक पहुंचा दिया। भीतर कहीं एक हलचल तो ही, ओशों के सान्निध्‍य ने ज्‍वार-भाटा पैदा कर दिया।

“बेइरादा नजर उनसे टकरा गई” पुस्‍तक एक सेल्‍फ जस्‍टीफिकेशन का तत्‍व उभरता नहीं दिखता है। कारण यह कि लेखक स्‍वयं अपने को नग्‍न देखने को उत्‍सुक है। वो आत्‍म साक्षात्‍कार की प्‍यास से उत्‍पन्‍न हृदय है। इसीलिए ये आत्‍म कथा लेखक के जीवन की तमाम ऊंच-नीच अपने में संजोकर चलती है। लेखक का यही साहस, कथा की पारदर्शिता को यथासंभव बना कर रखता है ज्ञानभेद जी ने आत्‍मकथा के बहाने अपनी अतंर्यात्रा के अनुभवों को भी बखूबी इसमें पिरोया है।

ISBN10-8128809881

150.00

In stock

बेइरादा नजर उससे टकरा गई

Additional information

Author

Gyan Bhed

ISBN

8128809881

Pages

352

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128809881

SKU 9798128809889 Category