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भविष्‍य पुराण

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महर्षि वेदव्‍यास द्वारा रचित ‘भविष्‍य पुराण’ को अठारह पुराणों में नवां स्‍थान प्राप्‍त है। इस पुराण में भगवान् सूर्यनारायण की महिमा, उनके स्‍वरूप, पूजा-उपासना विधि आदि का विस्‍तृत वर्णन होने के कारण इसे ‘सौर पुराण’ या ‘सौर ग्रंथ’ भी कहा गया है। इस पुराण में विभिन्‍न पुण्‍यमय व्रत-उपवासों, उनकी विधियों उनसे संबंद्ध पौराणिक तथा शिक्षाप्रद आख्‍यानों-उपाख्‍यानों का विस्‍तृत विवेचन है। इसके अतिरिक्‍त सामुदिक शास्‍त्र अर्थात् स्‍त्री-पुरुष के शारीरिक लक्षणों विभिन्‍न रत्‍नों-मणियों की परीक्षा का विधान, विभिन्‍न स्‍त्रोत, अनेक प्रभावशाली औषधियों तथा सर्प-विद्या का इतना विशद् वर्णन भविष्‍य पुराण के अतिरिक्‍त अन्‍य किसी पुराण में उपलब्‍ध नहीं है। इसमें विभिन्‍न राजवंशो, भारतीय धर्म-संस्‍कारों तत्‍कालीन सामाजिक-धार्मिक व्‍यवस्‍था, शिक्षा प्रणाली तथा वास्‍तुकला शिल्‍प का भी विस्‍तृत वर्णन किया गया है।

ISBN10-8128805622

Bhavishya Purana

Additional information

Author

Dr. Vinay

ISBN

8128805622

Pages

160

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128805622

SKU 9788128805622 Categories ,

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