भोले-भाले
भोले-भाले
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मैंने उन हजारों मोहित श्रोताओं को देखा है जो अशोक चक्रधर के कविता पाठ के समय एक सहज मुस्कान के साथ ठहाका लगाते हैं और उनकी कविता के दर्द को अपने अंतर में गहराई से अनुभव करते हैं, उससे जीते हैं। मैं कई बार मंच पर बैठा अशोक चक्रधर के गहरे प्रभाव का कारण तलाशता रहा हूं। मुझे लगता है रचना में आम आदमी की पक्षधरता के अतिरिक्त क्या कारण हो सकता है? वे कवि सम्मेलन को स्तरीयता प्रदान करने के साथ भाषा की सामर्थ्य भी बार बार स्थापित करते हैं। अशोक की कहन में बड़ी शक्ति है और यही हमारी भाषा की, हमारे देश और हमारी जनता की शक्ति है।
सर, जहां जनता के लिए जनता के द्वारा जनता की ऐसी-तैसी होती है, वहीं डैमोक्रैसी होती है।
ISBN10-8171829597
Additional information
Author | Ashok Chakradhar |
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ISBN | 8171829597 |
Pages | 168 |
Format | Paper Back |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8171829597 |
SKU
9788171829590
Categories Humorous Poetry, Humour