मानसरोवर भाग 8
मानसरोवर भाग 8
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प्रेमचंद ने हिंदी कहानी को एक निश्चित परिप्रेक्ष्य और कलात्मक आधार दिया। उन्होंने कहानी के स्वरूप को पाठकों की रुचि, कल्पना और विचार शक्ति का निर्माण करते हुए विकसित किया है। उनकी कहानियों का भाव-जगत् आत्मानुभूत अथवा निकट से देखा हुआ है। कहानी-क्षेत्र में वे वास्तविक जगत की उपज थे। उनकी कहानी की विशिष्टता यह है कि उसमें आदर्श और यथार्थ का गंगा-यामुनी संगम है। कथा का रूप घटनाओं और चरित्रों के माध्यम से निरूपित होता है। कथाकार के रूप में प्रेमचंद अपने जीवनकाल में ही किंवदंती बन गए थे। उन्होंने मुख्यत ग्रामीण एवं नागरिक सामाजिक जीवन को कहानियों का विषय बनाया है। उनकी कथा यात्रा में क्रमिक विकास के लक्षण स्पष्ट हैं। यहां विकास वस्तु विचार अनुभव तथा शिल्प सभी स्तरों पर अनुभव किया जा सकता है। उनका मानवतावाद अमूर्त भावात्मक नहीं, अपितु उसका आधार एक प्रकार का सुसंगत यथार्थवाद है, जो भावुकतापूर्ण प्रस्थान का पूर्णक्रम, पाठकों के समक्ष रख सका है।
ISBN10-8128802399
Additional information
Author | Prem Chand |
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ISBN | 8128802399 |
Pages | 232 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128802399 |