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मेरे प्रिय आत्मन
Author | P C Bagmar |
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ISBN | 9790000000000 |
Pages | 240 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128821881 |
इस स्मृति संग्रह का एक सुंदर पहलू यह है कि बागमार जी लेखक नहीं हैं। अगर वे लेखक होते तो अपने अनिर्वचनीय अनुभवों को सजाते, संवारते, शब्दों के अलंकृत करते और इस सब में इनका कुंवारापन खो जाता। यहां पर उन्होंने अपने मन के कैमरे में अनुभव कैद कर उनके शब्द चित्र बनाये हैं। कितना आसान था इसमें नमक मिर्च मिलाकर, थोड़ा कल्पना का तड़का देकर रसोई को जायकेदार बनाना। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। घटनाएं जैसी घटीं उन्हें हू-ब-हू सुनाकर उन्होंने अपनी ईमानदारी का सबूत दिया है। इसीलिए हम उनकी नजरों से ओशो को सुस्पष्ट देख पाते हैं।