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है अमावस से लड़ाई, युद्ध है अंधकार से इस लड़ाई को लड़ें, अब कौन से हथियार से? एक नन्हा दीप बोला- मैं उपस्थित हूं यहां, रोशनी की खोज में आप जाते हैं कहां? आपके परिवार में नाम मेरा जोड़ दें (बस) आप खुद अंधकार से यारी निभाना छोड़ दें। जो गा सकें वे सस्वर हैं तो गाएं। जो पढ़ सके वे पढ़ें। श्रुति के देश में श्रोता मेरा पहला परमात्मा है- पाठक उसके बाद वाला महात्मा। बीच की लकीर आप खींच लें। अपने समय की छाप इनमें से कई कविताओं पर स्पष्ट है। इन बहुश्रुत और पूर्व प्रकाशित कविताओं को यह आकार मिल सका। प्रख्यात कवि एवं ससंद सदस्य श्री बालकवि बैरागी का जन्म १० फरवरी, १९३१ को ग्राम-रामपुरा, जिला नीमच, मध्य प्रदेश में हुआ। इन्होंने एम.ए. (हिन्दी) प्रथम श्रेणी, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, मध्यप्रदेश से किया। मात्र नौ वर्ष की उम्र से ही इन्होंने अपनी पहली कविता लेखन से साहित्य जगत में कदम रख दिया। १९५३ से आज तक देश के कई कवि सम्मेलनों में आप निरंतर आमंत्रित किए जा चुके हैं। इन्होंने छोटी बड़ी २५-२६ फिल्मों के लिए भी गीत लेखन का भी कार्य किया। इसके अलावा चटक म्हाए चम्पा व अई जावों मैदान में मालवी गीत संग्रह और सैंकड़ों संस्मरण यात्रा वर्णन, कहानी संग्रह, डायरी लेखन प्रमुख है।

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है अमावस से लड़ाई, युद्ध है अंधकार से इस लड़ाई को लड़ें, अब कौन से हथियार से? एक नन्हा दीप बोला- मैं उपस्थित हूं यहां, रोशनी की खोज में आप जाते हैं कहां? आपके परिवार में नाम मेरा जोड़ दें (बस) आप खुद अंधकार से यारी निभाना छोड़ दें। जो गा सकें वे सस्वर हैं तो गाएं। जो पढ़ सके वे पढ़ें। श्रुति के देश में श्रोता मेरा पहला परमात्मा है- पाठक उसके बाद वाला महात्मा। बीच की लकीर आप खींच लें। अपने समय की छाप इनमें से कई कविताओं पर स्पष्ट है। इन बहुश्रुत और पूर्व प्रकाशित कविताओं को यह आकार मिल सका। प्रख्यात कवि एवं ससंद सदस्य श्री बालकवि बैरागी का जन्म १० फरवरी, १९३१ को ग्राम-रामपुरा, जिला नीमच, मध्य प्रदेश में हुआ। इन्होंने एम.ए. (हिन्दी) प्रथम श्रेणी, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, मध्यप्रदेश से किया। मात्र नौ वर्ष की उम्र से ही इन्होंने अपनी पहली कविता लेखन से साहित्य जगत में कदम रख दिया। १९५३ से आज तक देश के कई कवि सम्मेलनों में आप निरंतर आमंत्रित किए जा चुके हैं। इन्होंने छोटी बड़ी २५-२६ फिल्मों के लिए भी गीत लेखन का भी कार्य किया। इसके अलावा चटक म्हाए चम्पा व अई जावों मैदान में मालवी गीत संग्रह और सैंकड़ों संस्मरण यात्रा वर्णन, कहानी संग्रह, डायरी लेखन प्रमुख है। खासतौर पर बच्चों के लिए कविता संग्रह किया। इसके अलावा भारतीय राजनीति में सन् १९४५ से ही कांग्रेस में सक्रिय रहे। १९६७-७२ मध्य प्रदेश में विधायक, १९८० से ८४ मध्य प्रदेश में राज्य मंत्री, १९८४-८९ लोक सभा सदस्य और १९९८ से मध्यप्रदेश से राज्य सभा सदस्य रह चुके हैं। इन्हें कई पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है।

Additional information

Author

Balkrishan Garg

ISBN

8189182773

Pages

192

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8189182773