मैनेजमेंट के मूल मंत्र
मैनेजमेंट के मूल मंत्र
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आज की दौड़ती भागती ज़िन्दगी में आदमी उलझकर रह गया है, वह बहुत कुछ करना चाहता है पर कुछ भी नहीं कर पा पाता। तमाम संभावनाएं, टेक्नोलॉजी, हुनर और डिग्रियों उपलब्ध होने के बाद भी वह कार्य एवं जिम्मेदारियों के बीच अपने को असफल ही पता है। ऐसा नहीं की उसके पास साधन नहीं है या वक्त नहीं है सब कुछ है बस वह प्रबंधित एवं व्यवस्थित नहीं है। शशिकांत ‘सदैव’ की यह पुस्तक ‘मैनेजमेंट के मूल मंत्र ‘ इसी समस्या को ध्यान में रखकर लिखी गई किताब है जो की प्रबंधन के ज़रिये हमें न केवल व्यावसायिक तौर पर सफल बनाने में हमारी मदद करती है बल्कि हमें व्यवहारिक एवं व्यक्तिविक तौर पर भी हमें ऊपर उठती है।
सच तो यह है व्यक्तित्व निखार और सफलता का आधार है मैनेजमेंट। मैनेजमेंट किसका, कैसे ,कब और कितना किया जाए ये जानना जरूरी है , जिसे यह पुस्तक विस्तारपूर्वक कई उदाहरणों के साथ समझाती है। इतना ही नहीं जहाँ एक ओर यह पुस्तक टाइम, डे, वर्क, गोल, कॅरिअर एवं स्ट्रेस आदि जैसे व्यावहारिक विषयों को मैनेज करना सिखाती है वही दूसरी ओर लाइफ, एनर्जी, मूड, विज़न , सेल्फ , एंगर, लोनलिनेस तथा लव और रिलेशनशिप सूक्ष्म एवं गूढ़ विषयों को भी मैनेज करना सिखाती है। कह सकते हैं कि भौतिक एवं आध्यात्मिक सफलता कर मनुष्य के सच्चे विकास में सहायक साबित हो सकती है यह पुस्तक।
Additional information
Author | Shashikant Sadaiv |
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ISBN | 9789351653301 |
Pages | 184 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 9351653307 |