₹95.00
लेखक लल्लन प्रसाद व्यास ने यह पुस्तकअपने आत्मसंतोष के लिए लिखी है परंतु वह इतनी सुपठनीय बन गई है कि उसे पढने पर हर किसी को आत्मसंतोष मिल जाता है क्योंकि कहीं ना कही वह स्वयं को राम से जुडा पाता है। अपनेआत्मसंतोष को पाने के लिए यह पुस्तक पढें।
Author | Lallan Prashad Vyas |
---|---|
ISBN | 8128814990 |
Pages | 140 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128814990 |
लेखक लल्लन प्रसाद व्यास ने यह पुस्तकअपने आत्मसंतोष के लिए लिखी है परंतु वह इतनी सुपठनीय बन गई है कि उसे पढने पर हर किसी को आत्मसंतोष मिल जाता है क्योंकि कहीं ना कही वह स्वयं को राम से जुडा पाता है। अपनेआत्मसंतोष को पाने के लिए यह पुस्तक पढें।