रेकी (स्‍पर्श से सुखी चिकित्‍सा)

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रेकी के रहस्‍यों का उद्घाटन रेकी संकेतों को बताता है, जिसमें अति पवित्र वह संकेत शामिल हैं, जो मास्‍टर बनने पर सिखाए जाते हैं। इसमें क्षमता ग्रहण करने की प्रक्रिया भी बताई गई है। बहुत से रेकी मास्‍टरों की दृष्टि में यह परम्‍परा का उल्‍लंघन है।
लेखक का ‘जोर देकर’ कहना है कि रेकी के रहस्‍यात्‍मक संकेतों और गुर को दूसरों तक पहुंचना चाहिए। उनका तर्क है कि ढेरों प्राचीन भारतीय ज्ञान इसी रहस्‍य और केवल ‘सुयोग्‍यपात्र’ को शिक्षा देने के गुरुओं के आग्रह की वजह से विलुप्‍त हो गए।
इस पुस्‍तक में लेखक अपने पाठकों को उस जानकारी को पढ़ने की सलाह देता है जिसे उसने एक मास्‍टर से सीखकर व्‍यवस्थित रूप में प्रस्‍तुत किया है। इस पुस्‍तक को लिखने का उद्देश्‍य यह है कि रेकी का ज्ञान सुरक्षित रहे और उसका व्‍यवसायीकरण न होने पाए।

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रेकी (स्‍पर्श से सुखी चिकित्‍सा)
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रेकी (स्‍पर्श से सुखी चिकित्‍सा)

Additional information

Author

Sukhdeepak Malwai

ISBN

8171823610

Pages

164

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Fusion Books

ISBN 10

8171823610