श्रीमदभगवदगीता साक्षातपरमात्मा के श्रीमुख की वाणी है। इस की महिमा असीम है। सात सौ श्लोकों के इस अलौकिक ग्रंथ के चिन्तन मात्र से कल्याण हो जाता है। इस महान उपदेशक ग्रंथ का समय-समय पर अनेक टीकाकारों ने अपने-अपने तात्पर्य निश्चित किये हैं। भागवत एवं राम कथाओं से जन मानस को अभिभूत करने वाले परम पूज्य गुरुदेव श्री किरीटभाई जी, ऐसे ही इस परम ग्रंथ के मर्मज्ञ हैं। अपने कथा-प्रवचनों में गुरुदेव सर्वदागीता के श्लोकों की अदभुत व्याख्या करते हैं।
श्रीमद् भगवत गीता
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श्रीमदभगवदगीता साक्षातपरमात्मा के श्रीमुख की वाणी है। इस की महिमा असीम है। सात सौ श्लोकों के इस अलौकिक ग्रंथ के चिन्तन मात्र से कल्याण हो जाता है। इस महान उपदेशक ग्रंथ का समय-समय पर अनेक टीकाकारों ने अपने-अपने तात्पर्य निश्चित किये हैं। भागवत एवं राम कथाओं से जन मानस को अभिभूत करने वाले परम पूज्य गुरुदेव श्री किरीटभाई जी, ऐसे ही इस परम ग्रंथ के मर्मज्ञ हैं। अपने कथा-प्रवचनों में गुरुदेव सर्वदागीता के श्लोकों की अदभुत व्याख्या करते हैं।
Additional information
Author | Kirit Bhai |
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ISBN | 8189182749 |
Pages | 132 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8189182749 |