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“खिलती धूप कहीं भी छूती नहीं,
बेतहाशा बारिश गीला करती नहीं,
कड़क सर्दियों में ठिठुरती नहीं,
कुछ यूं हो गये हैं ये रूह और जिस्म,
मौसम बदलने से जि़्ांदगी बदलती नहीं।”
Author | Deepak Chawla |
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ISBN | 9789351652946 |
Pages | 272 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 9351652947 |
“खिलती धूप कहीं भी छूती नहीं,
बेतहाशा बारिश गीला करती नहीं,
कड़क सर्दियों में ठिठुरती नहीं,
कुछ यूं हो गये हैं ये रूह और जिस्म,
मौसम बदलने से जि़्ांदगी बदलती नहीं।”
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