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चींटी की चाल रेंगते-रेंगते गिरिराज अपना लक्ष्य पा लेते हैं, यह उनका गुण है। मुझे उनको निकट से देखने पर जो सबक मिला, वह यह है कि मात्र अपनी प्रतिभा के सहारे कुछ साधारण कर दिखाने वाले परास्त हो जाते हैं, लेकिन वे लोग नहीं हारते, जिनके पास मेहनत और लगनशीलता की पूंजी होती है।……
वह तो उस श्रेणी के प्राणी रहे हैं, जो नपे-तुले कदमों से चलने और मंजिल पा लेने में विश्वास करते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल के जीवन, कर्म व साहित्य पर विभिन्न लेखकों के विचार सग्रहित हैं। यह पुस्तक उनके साठ साल के जीवन-कर्म का सफरनामा है।
Author | Ajay Janamjai |
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ISBN | 8128808095 |
Pages | 360 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128808095 |
चींटी की चाल रेंगते-रेंगते गिरिराज अपना लक्ष्य पा लेते हैं, यह उनका गुण है। मुझे उनको निकट से देखने पर जो सबक मिला, वह यह है कि मात्र अपनी प्रतिभा के सहारे कुछ साधारण कर दिखाने वाले परास्त हो जाते हैं, लेकिन वे लोग नहीं हारते, जिनके पास मेहनत और लगनशीलता की पूंजी होती है।……
वह तो उस श्रेणी के प्राणी रहे हैं, जो नपे-तुले कदमों से चलने और मंजिल पा लेने में विश्वास करते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल के जीवन, कर्म व साहित्य पर विभिन्न लेखकों के विचार सग्रहित हैं। यह पुस्तक उनके साठ साल के जीवन-कर्म का सफरनामा है।
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