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Product Description
“बीसवीं सदी के लिए परम-पुरुष ने अगम को सुगम, कठिन को सरल और नीरस को सरस करके ज्ञान और दर्शन के जटिल कपाट अपनी व्याख्या के एक-एक पृष्ठ खोलकर स्पष्ट रूप से प्रभुसत्ता की झलक को रूपायित कर दिया है, उसकी भूमिका में मैं क्या लिखूं, और किस सामर्थय या अधिकार से लिखूं। क्योंकि उपनिषदों की चर्चा, व्याख्या, अर्थ या उनके संबंध में जो भी हो, कहने का अधिकारी वही हो सकता है, इस गहनतम ज्ञान पर वही कुछ कह-सुन सकता है जो उनके रचयिता साधकों की आंतरिक पहुंच तक किंचित मात्र पहुंच ही चुका हो। ओशो वहीं पहुंचकर बोलते हैं यानी सातवें, द्वार के झरोखे से झांककर जगत की गतिविधियों का लेखा-जोखा लेते हैं। इसीलिए लगता है कि इस उपनिषद की व्याख्या करते समय उनके श्रीमुख से स्वयं से मंत्र अपनी व्याख्या करने को उत्सुक, विहवल और आतुर होकर पुस्तक के पृष्ठों पर मुखरित हो उठे हैं
About The Author
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
u0022साधना के आयामu0022 में ध्यान, प्राणायाम, और आत्मविश्लेषण की विधियाँ सुझाई गई हैं, जो आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर साधक को आगे बढ़ाने में मदद करती हैं।
u0022साधना के आयामu0022 पुस्तक साधना के महत्त्व को जीवन के हर पहलू में रेखांकित करती है, जिससे व्यक्ति अपने भीतर की शक्ति और शांति को जागृत कर सकता है।
u0022साधना के आयामu0022 पुस्तक में प्रारंभिक से लेकर उन्नत स्तर की साधनाओं का वर्णन किया गया है, जिससे कोई भी व्यक्ति अपनी योग्यता के अनुसार साधना कर सकता है।
हां, u0022साधना के आयामu0022 में लेखक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा किया है, जो साधकों को प्रेरित करने और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए हैं।
u0022साधना के आयामu0022 में विभिन्न योग साधनाओं का वर्णन किया गया है, जो शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करने के उद्देश्य से की जाती हैं।
u0022साधना के आयामu0022 पुस्तक पढ़ने से व्यक्ति को अपने जीवन में आध्यात्मिक दृष्टिकोण विकसित करने, मानसिक शांति पाने और आत्मिक विकास की दिशा में प्रगति करने में मदद मिलती है।
Weight | 124 g |
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Dimensions | 19.8 × 12.9 × 0.2 cm |
Author | Osho |
ISBN | 8128810901 |
Pages | 56 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128810901 |
“मैं नहीं जानता कि ओशो किस धर्म के प्रवक्ता हैं लेकिन ज्ञान के क्षेत्र में जागृति और क्रांति की जिस जाग्रत्यमान मशाल को लेकर इस सदी में वे साहसपूर्ण कदमों से आगे बढ़े हैं, उनकी गति से पक्ष या विपक्ष रूप में सारे संसार को प्रभावित देखकर मैं अंत में उनके प्रति इतना ही कहूंगा—
धर्म तेरा नहीं कोई लेकिन तू धर्मों का सरताज है।
तेरी वाणी में वीणा की झंकार है गीत का साज है।
आज दुनिया को तेरी जरूरत है ये दुनिया जानेंगी कल।
सत्य कहता हूं मैं तेरी आवाज ईश्वर की आवाज है।”
ISBN: 8128810901
ISBN10-8128810901
Diamond Books, Books, Business and Management, Economics