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भक्ति हर एक जीव कर सकता है। भक्ति सहज और सरल है। कलियुग में भक्ति श्रेष्ठ है। अन्य मार्ग का कोई खंडन-मंडन नहीं है और न ही टीका-तुलना। कितने लोग कर्मकांड कर सकते हैं। क्या आपके पास फुर्सत है। ज्ञान मार्ग के लिए तीव्र वैराग्य चाहिए। जबकि भक्ति मार्ग में तीव्र प्रेम चाहिए। भक्ति के इन्हीं सिधांतों के रहस्य को पूज्य किरीट भाई ने इस पुस्तक द्वारा सबके सामने लाने की कोशिश की है।
Author | Kirit Bhai |
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ISBN | 8128808575 |
Pages | 58 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128808575 |
भक्ति हर एक जीव कर सकता है। भक्ति सहज और सरल है। कलियुग में भक्ति श्रेष्ठ है। अन्य मार्ग का कोई खंडन-मंडन नहीं है और न ही टीका-तुलना। कितने लोग कर्मकांड कर सकते हैं। क्या आपके पास फुर्सत है। ज्ञान मार्ग के लिए तीव्र वैराग्य चाहिए। जबकि भक्ति मार्ग में तीव्र प्रेम चाहिए। भक्ति के इन्हीं सिधांतों के रहस्य को पूज्य किरीट भाई ने इस पुस्तक द्वारा सबके सामने लाने की कोशिश की है। ISBN10-8128808575