सोनागाछी की चम्‍बा

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मूल बंगला रचना ऐराओ मानुष के हिन्दी अनुवाद इस उपन्यास में वेश्याओं की व्यथा का मार्मिक चित्रण किया गया है। लेखक ने काफी गहराई से उन हालातों का वर्णन किया है जिसके तहत युवतियां वेश्या बनने को विवश होती हैं। समाज के इस घृणित पेशे के फैलाव के लिए समाज के सफेदपोश लोगों से लेकर कई प्रतिभाशाली तबकों का परोक्ष-प्रत्यक्ष समर्थन जिम्मेदार होता है। युवतियां अनायास ही ऐसे लोगों के चंगुल में फंस जाती है जिनसे उन्हें उम्र भर बाहर निकलना मुश्किल होता है।
यह उपन्यास समाज के ऐसे लोगों पर करारा तमाचा है जो भोले-भोले गरीब असहाय लोगों को बहलाकर उनकी बेटियों को रोजगार दिलाने का सपना दिखाते हैं और उन्हें ऐसे रोजगार मे धकेल देते हैं जहां से लौटना संभव नहीं है। लौटती है सिर्फ बदनामी और जर्जर शरीर।

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सोनागाछी की चम्‍बा
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सोनागाछी की चम्‍बा

Additional information

Author

Nimai Bhattacharya

ISBN

8128400797

Pages

184

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Fusion Books

ISBN 10

8128400797