हंसिकाएं ही हंसिकाएं
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- Book Details
व्यंग्य-जगत् में विख्यात डॉ. सरोजनी प्रीतम हिंदी की एकमात्र ऐसी महिला व्यंग्य लेखिका हैं, जिन्होंने अपनी रचना से ‘हंसिका’ नाम की एक नई विधा को जन्म दिया है। आपने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. करने के बाद ‘स्वातत्रयोत्त्रर हिन्दी कहानी में नगर-जीवन’ विषय पर पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। पका समूचा लेखन व्यंग्य के प्रति समर्पित है। अब तक आपको हास्य-व्यंग्य के लिए प्रधानमंत्री द्वारा दिनकर शिखर सम्मान ‘सीता का महाप्रयाण’ पर कामिल बुल्के अवार्ड हास्य कविताओं पर कलाश्री पुरस्कार, ‘आखिरी स्वयंवर’ पर हिन्दी अकादमी पुरस्कार आदि प्राप्त हो चुके हैं। आपकी 30 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आपके हास्य उपन्यास ‘बिके हुए लोग’ पर 13 एपिसोड का हास्य धावाहिक भी दूरदर्शन द्वारा स्वीकृत हो चुका है। अब तक प्रकाशित हास्य–कहानियां, कविताएं, उपन्यास और बच्चों के लिए हास्य-कथाएं व कविताएं आपकी विशिष्टता है। अबतक प्रकाशित कुछ पुस्तकें- आखिरी स्वयंवर, एक थी शांता, पोपटपाल, विरहनामा, आफत के पुतले, अंधेरे की चट्टान, सनकीबाई, उदासचंद, आशीर्वाद के फूल, डंक का डंक, लाइन पर लाइन, छक्केलाल आदि।
डॉ. सरोजनी प्रीतम
Additional information
Author | Sarojani Preetam |
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ISBN | 8128811614 |
Pages | 160 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128811614 |
व्यंग्य-जगत् में विख्यात डॉ. सरोजनी प्रीतम हिंदी की एकमात्र ऐसी महिला व्यंग्य लेखिका हैं, जिन्होंने अपनी रचना से ‘हंसिका’ नाम की एक नई विधा को जन्म दिया है। आपने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. करने के बाद ‘स्वातत्रयोत्त्रर हिन्दी कहानी में नगर-जीवन’ विषय पर पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। पका समूचा लेखन व्यंग्य के प्रति समर्पित है। अब तक आपको हास्य-व्यंग्य के लिए प्रधानमंत्री द्वारा दिनकर शिखर सम्मान ‘सीता का महाप्रयाण’ पर कामिल बुल्के अवार्ड हास्य कविताओं पर कलाश्री पुरस्कार, ‘आखिरी स्वयंवर’ पर हिन्दी अकादमी पुरस्कार आदि प्राप्त हो चुके हैं। आपकी 30 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आपके हास्य उपन्यास ‘बिके हुए लोग’ पर 13 एपिसोड का हास्य धावाहिक भी दूरदर्शन द्वारा स्वीकृत हो चुका है। अब तक प्रकाशित हास्य–कहानियां, कविताएं, उपन्यास और बच्चों के लिए हास्य-कथाएं व कविताएं आपकी विशिष्टता है। अबतक प्रकाशित कुछ पुस्तकें- आखिरी स्वयंवर, एक थी शांता, पोपटपाल, विरहनामा, आफत के पुतले, अंधेरे की चट्टान, सनकीबाई, उदासचंद, आशीर्वाद के फूल, डंक का डंक, लाइन पर लाइन, छक्केलाल आदि।
डॉ. सरोजनी प्रीतम
ISBN10-8128811614