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होनी होय सो होय (कबीर वाणी) by osho-0
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Honi Hoye So Hoye ( होनी होय सो होय )

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Honi Hoye So Hoye ( होनी होय सो होय ) Quote By Osho
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पुस्तक के बारे में

सीधी अनुभूति है अंगार है, राख नहीं। राख को तो तुम सम्हाल कर रख सकते हो। अंगार को सम्हालना हो तो श्रद्धा चाहिए, तो ही पी सकोगे यह आग। कबीर आग हैं। और एक घुंट भी पी लो तो तुम्हारे भीतर भी अग्नि भभक उठे- – सोई अग्नि जन्मों-जन्मों की। तुम भी दीये बनो। तुम्हारे भीतर भी सुरज ऊगे। और ऐसा हो, तो ही समझना कि कबीर को समझा। ऐसा न हो, तो समझना कि कबीर के शब्द पकड़े, शब्दों की व्याख्या की, शब्दों के अर्थ जाने पर वह सब ऊपर-ऊपर का काम है। जैसे कोई जमीन को इंच दो इंच खोदे और सोचे कि कुआं हो गया। गहरा खोदना होगा। कंकड़-पत्थर आएंगे। कूड़ा-कचरा आएगा। मिट्टी हटानी होगी। धीरे-धीरे जलस्त्रोत के निकट पहुंचोगे।

लेखक के बारे में

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

होनी होय सो होय पुस्तक का मुख्य विषय क्या है?

यह पुस्तक कबीर की वाणियों के माध्यम से जीवन की अपरिहार्यता और भाग्य के तत्वों को समझने का प्रयास करती है। ओशो ने इस विचार को जीवन में शांति और स्वीकार्यता के दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है।

ओशो ने कबीर की वाणियों की व्याख्या कैसे की है?

ओशो ने कबीर की वाणियों को एक आधुनिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है, जिससे पाठकों को जीवन के अनिवार्य सत्य और भाग्य के बारे में गहरी समझ मिलती है।

होनी होय सो होय के प्रमुख विषय क्या हैं?

प्रमुख विषयों में जीवन की अपरिहार्यता, भाग्य, और मानसिक शांति शामिल हैं। ओशो ने कबीर की वाणियों के माध्यम से इन विषयों की गहराई को उजागर किया है।

ओशो की दृष्टि कबीर की शिक्षाओं को कैसे अद्वितीय बनाती है?

ओशो की दृष्टि कबीर की शिक्षाओं को एक नए और आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करती है, जिससे कबीर के गहरे संदेश को आज के समय में भी समझा जा सके

क्या होनी होय सो होय में कबीर की वाणियों के शब्दशः अनुवाद हैं?

इस पुस्तक में कबीर की वाणियों का शब्दशः अनुवाद नहीं है, बल्कि ओशो ने उनके विचारों और भावनाओं की व्याख्या की है।

Additional information

Weight 344 g
Dimensions 20.32 × 12.7 × 1.27 cm
Author

Osho

ISBN

9789350831977

Pages

24

Format

Paper Back

Language

Hindi

Publisher

Jr Diamond

ISBN 10

935083197X

कबीर के पास न तर्क है, न विचार है, न दर्शनशास्त्र है। शास्त्र से कबीर का क्या लेना-देना ! कहा कबीर ने: ‘मसि कागद छुओ नहीं।’ कभी छुआ ही नहीं जीवन में कागज, स्याही से कोई नाता ही नहीं बनाया। सीधी-सीधी अनुभूति है; अंगार है, राख नहीं। राख को तो तुम सम्हाल कर रख सकते हो। अंगार को सम्हालना हो तो श्रद्धा चाहिए, तो ही पी सकोगे यह आग। कबीर आग हैं। और एक घुंट भी पी लो तो तुम्हारे भीतर भी अग्नि भभक उठे- – सोई अग्नि जन्मों-जन्मों की। तुम भी दीये बनो। तुम्हारे भीतर भी सुरज ऊगे। और ऐसा हो, तो ही समझना कि कबीर को समझा। ऐसा न हो, तो समझना कि कबीर के शब्द पकड़े, शब्दों की व्याख्या की, शब्दों के अर्थ जाने; पर वह सब ऊपर-ऊपर का काम है। जैसे कोई जमीन को इंच दो इंच खोदे और सोचे कि कुआं हो गया। गहरा खोदना होगा। कंकड़-पत्थर आएंगे। कूड़ा-कचरा आएगा। मिट्टी हटानी होगी। धीरे-धीरे जलस्त्रोत के निकट पहुंचोगे।

पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:

  • मांग और प्रार्थना
  • तृष्णा-रहित जीवन
  • प्रेम मृत्यु है- -अहंकार की, अस्मिता की
  • मन और संस्कार
  • प्रियजन की मृत्यु
  • मनुष्य दुखी क्यों है ? उसकी पीड़ा क्या है ?

ISBN10-935083197X

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