अम्मा, देख ये कौन सज्जन तशरीफ लाए हैं, तुमसे मिलने? देहरी से ही चीखकर कहेगा।
अम्मा भांगती हुई आएंगी, अरे, मैं जो कहूं, कौन सज्जन हैं? यू तो बहुत बड़ा हो गया रे…।
अम्मा, यह बड़ा नहीं, दहीबड़ा हो गया है। जर्नलिस्ट बन गया है। हम तो बस यों ही सरकार की मुंशीगीरी करते रह गए। कभी मिलिट्री में कमीशन-वमीशन भी तो मिलता नहीं। मेरी लेफ्ट-राइट करते लेकिन जरा इससे पूछो। चांदी तो इसी साले की हो रही है। बड़े-बड़े लोग इससे डरते हैं।” –इसी पुस्तक से। कहानियां अनवरत पढ़ते रहना कहीं न कहीं बोरियत का अहसास करा जाती हैं। लेकिन जब हास्य और व्यंग्य के बाणों का इस्तेमाल होता है तो वे कहानियां अपनी रोचकता को दुगुना कर जाती है। हास्य और व्यंग्य का पुट हिमांशु जी की कहानियां का अंश हो सकता है।जो एक ही कहानी में नए रूपों को प्रस्तुत करता है। अग्रणी कथाकार, पत्रकार। जन्म ४ मई, १९३५ को उत्तराखंड के जो स्यूड़ा ग्राम थे। गत पचास वर्षों से लेखन एवं पत्रकारिता में संलग्न। १७ कहानी-संग्रह, ८ उपन्यास, २ यात्रा-वृत्तान्त, २ काव्य-संग्रह, संस्मरण आदि कुल ३२ पुस्तकें प्रकाशित। समस्त भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त कई रचनाएं जापानी, कोरियाई, चीनी, बर्मी, नेपाली, अंग्रेजी, बांग्ला, नार्वेजिरून, इटालियन आदि में अनूदित। हेनरिक इब्सन अंतर्राष्ट्रीय सम्मान, नार्वे, हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग का सर्वोच्च सम्मान साहित्य वाचस्पति, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का वाचस्पति, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का अवन्तिबाई सम्मान, केंद्रीय हिन्दी-संस्थान का गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान आदि से विभूषित। फिल्म तथा रेडियो के माध्यम से कई रचनाएं प्रसारित।
21 श्रेष्ठ कहानियां हिंमाशु जोशी
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अम्मा, देख ये कौन सज्जन तशरीफ लाए हैं, तुमसे मिलने? देहरी से ही चीखकर कहेगा। अम्मा भांगती हुई आएंगी, अरे, मैं जो कहूं, कौन सज्जन हैं? यू तो बहुत बड़ा हो गया रे…। अम्मा, यह बड़ा नहीं, दहीबड़ा हो गया है। जर्नलिस्ट बन गया है। हम तो बस यों ही सरकार की मुंशीगीरी करते रह गए। कभी मिलिट्री में कमीशन-वमीशन भी तो मिलता नहीं। मेरी लेफ्ट-राइट करते लेकिन जरा इससे पूछो। चांदी तो इसी साले की हो रही है। बड़े-बड़े लोग इससे डरते हैं।” –इसी पुस्तक से। कहानियां अनवरत पढ़ते रहना कहीं न कहीं बोरियत का अहसास करा जाती हैं। लेकिन जब हास्य और व्यंग्य के बाणों का इस्तेमाल होता है तो वे कहानियां अपनी रोचकता को दुगुना कर जाती है। हास्य और व्यंग्य का पुट हिमांशु जी की कहानियां का अंश हो सकता है।जो एक ही कहानी में नए रूपों को प्रस्तुत करता है। अग्रणी कथाकार, पत्रकार। जन्म ४ मई, १९३५ को उत्तराखंड के जो स्यूड़ा ग्राम थे। गत पचास वर्षों से लेखन एवं पत्रकारिता में संलग्न। १७ कहानी-संग्रह, ८ उपन्यास, २ यात्रा-वृत्तान्त, २ काव्य-संग्रह, संस्मरण आदि कुल ३२ पुस्तकें प्रकाशित। समस्त भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त कई रचनाएं जापानी, कोरियाई, चीनी, बर्मी, नेपाली, अंग्रेजी, बांग्ला, नार्वेजिरून, इटालियन आदि में अनूदित।
Additional information
Author | Himanshu Joshi |
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ISBN | 8128819941 |
Pages | 160 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128819941 |