भारत एक विशाल देश है, जिसमें अनेकों सभ्यताओं, परंपराओं का समावेश है। विभिन्न राज्यों के पर्व-त्योहार, रहन-सहन का ढंग, शैक्षिक अवस्था, वर्तमान और भविष्य का चिंतन, भोजन की विधियां, सांस्कृतिक विकास, मुहावरे, पोशाक और उत्सव इत्यादि की जानकारी कथा-कहानी के माध्यम से भी मिलती है। भारत के सभी प्रदेशों के निवासी साहित्य के माध्यम से एक-दूसरे को जानें, समझें और प्रभावित हो सके, ऐसा साहित्य उपलब्ध करवाना हमारा प्रमुख उद्देश्य है।
भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव ) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।
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1 जनवरी, 1966 को जन्मे और प्राणी विज्ञान व हिन्दी से स्नातकोत्तर विजयानंद विजय मूलत: लघुकथाकार हैं। साथ ही कविताएँ, व्यंग्य और बाल कहानियां भी लिखते रहे हैं। आधुनिक हिंदी साहित्य की चयनित लघुकथाएँ (बोधि प्रकाशन), सहोदरी कथा संकलन, लघुकथा कलश महाविशेषांक-1,2 व 3 (सं.-योगराज प्रभाकर), परिंदो के दरमियाँ (सं.-बलराम अग्रवाल), कलमकार संकलन, साहित्य कलश-लघुकथा विशेषांक (सं.-संजय सागर सूद), प्रेम विषयक लघुकथाएँ (अयन प्रकाशन), नयी सदी की लघुकथाएँ (सं.-अनिल शूर आजाद), लघुकथा मंजूषा, क्षितिज (सं.-सतीश राठी), दृष्टि (सं.-अशोक जैन), अविराम साहित्यिकी-लघुकथा विशेषांक (सतीश राठी), परिंदे (लघुकथा विशेषांक), लघुकथा के परिंदे रजत आयोजन (सं.-कांता राय). मिलीभगत (साझा व्यंग्य संकलन), कस्तूरी (कहानी संकलन), इक्कीसवीं सदीके श्रेष्ठ व्यंग्यकार (इंडिया नेटबुक्स), कथारंग साहित्य वार्षिकी, पाखी देश विशेषांक, उर्वशी लघुकथा विशेषांक, शुभ तारिका लघुकथा विशेषांक, चिकीर्षा लघुकथा विशेषांक, चलें नीड़ की ओर (अपना प्रकाशन) और समय की दस्तक (सं.-कांता राय), पड़ाव और पड़ताल-32 आदि संकलनों और अनेकों राष्ट्रीय समाचार-पत्रों में इनकी लघुकथाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं।
सम्प्रति: अध्यापन (राजकीय सेवा, बिहार सरकार)