भारत एक विशाल देश है, जिसमें अनेकों सभ्यताओं, परंपराओं का समावेश है। विभिन्न राज्यों के पर्व-त्योहार, रहन-सहन का ढंग, शैक्षिक अवस्था, वर्तमान और भविष्य का चिंतन, भोजन की विधियां, सांस्कृतिक विकास, मुहावरे, पोशाक और उत्सव इत्यादि की जानकारी कथा-कहानी के माध्यम से भी मिलती है। भारत के सभी प्रदेशों के निवासी साहित्य के माध्यम से एक-दूसरे को जानें, समझें और प्रभावित हो सके, ऐसा साहित्य उपलब्ध करवाना हमारा प्रमुख उद्देश्य है।
भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव ) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।
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वाराणसी में सन् 1957 को जन्मी डॉ. अनीता पंडा की कर्मभूमि सन 1984 से मेघालय की राजधानी शिलांग रही है। यहाँ की लोक-संस्कृति आदि पर हिन्दी में लेखन तथा हिन्दी के प्रचार-प्रसार हेतु संलग्न हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं से भी जुड़ी हैं।
सम्प्रतिः आप वरिष्ठ शोधकर्ता, आई. सी. एस. एस. आर., दिल्ली एवं अतिथि प्रवक्ता मार्टिन लूथर क्रिश्चियन विश्वविद्यालय, शिलांग, वरिष्ठ लेखिका, अनुवादक, कवियित्री, समीक्षक एवं सह-संपादिका “का जिन्शाई/ज्योति”, दूरदर्शन मेघालय एवं पूर्वोत्तर सेवा आकाशवाणी, शिलांग में कार्यक्रमों का संचालन। राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान 2015, आकाशवाणी नई दिल्ली के विदेशी प्रसारण सेवा प्रभाग द्वारा संगीत रूपक नौह का लिकाई के संगीत रूपक लेखन हेतु प्रथम पुरस्कार-2009 में, नौ पुस्तकें प्रकाशित, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन में कार्यक्रम संचालन, सक्रिय भूमिका, देश-विदेश में सरकारी-गैर सरकारी प्रतिष्ठित संगोष्ठियों में भागीदारी, पुरस्कृत एवं सम्मानित, मेघालय की जनजातीय संस्कृति एवं लोक पर शोध।