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‘इक्कीस श्रेष्ठ कहानियां’ मेरा कमोवेश अपना ही चयन है । जिस प्रकार स्नेहसिक्त माता-पिता अपनी कुछ संतानों को अधिक प्रिय तथा कुछ को अधिक अप्रिय के रूप में विभाजन करने की सहज स्थिति में नहीं हो सकते, संभवतः वही बात रचनाकार की रचना – चयन पर भी लागू होती है कि वह किस रचना को श्रेष्ठ, श्रेष्ठतर अथवा श्रेष्ठतम कहे व किस रचना को अवरोह के क्रम में कमतर क्योंकि हर रचना का क्रम, संघर्ष नियति, संवेदना आदि की प्रक्रिया की पद्धति संभवतः एक ही जैसी होती है।
फिर भी पाठकों की सुविधा के लिए अपनी चयनित 21 श्रेष्ठ कहानियां संकलित कर पिरो दी हैं जिनमें पर्वतीय जीवन के लोक रंगों के साथ लोक उत्सव व लोक जीवन के स्मृतिबिम्बों का यथा तथ्य पकड़ने का प्रयास किया गया है। उसमें रचनाकार कितना सफल हुआ है, यह भाव प्रवण सुधी पाठक ही तय कर पाएंगे।
Author | Prof. Dinesh Chamola 'Shailesh' |
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ISBN | 9789356845886 |
Pages | 172 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Junior Diamond |
Amazon | |
Flipkart | https://www.flipkart.com/21-shreshtha-kahaniyan/p/itmec82b8a0ea45a?pid=9789356845886 |
ISBN 10 | 9356845883 |
‘इक्कीस श्रेष्ठ कहानियां’ मेरा कमोवेश अपना ही चयन है । जिस प्रकार स्नेहसिक्त माता-पिता अपनी कुछ संतानों को अधिक प्रिय तथा कुछ को अधिक अप्रिय के रूप में विभाजन करने की सहज स्थिति में नहीं हो सकते, संभवतः वही बात रचनाकार की रचना – चयन पर भी लागू होती है कि वह किस रचना को श्रेष्ठ, श्रेष्ठतर अथवा श्रेष्ठतम कहे व किस रचना को अवरोह के क्रम में कमतर क्योंकि हर रचना का क्रम, संघर्ष नियति, संवेदना आदि की प्रक्रिया की पद्धति संभवतः एक ही जैसी होती है।
फिर भी पाठकों की सुविधा के लिए अपनी चयनित 21 श्रेष्ठ कहानियां संकलित कर पिरो दी हैं जिनमें पर्वतीय जीवन के लोक रंगों के साथ लोक उत्सव व लोक जीवन के स्मृतिबिम्बों का यथा तथ्य पकड़ने का प्रयास किया गया है। उसमें रचनाकार कितना सफल हुआ है, यह भाव प्रवण सुधी पाठक ही तय कर पाएंगे।
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