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21st Sadi ki 21 Shreshtha Dalit Kahaniyan (21वीं सदी की 21 श्रेष्ठ दलित कहानियां)

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वास्तव में आज की दलित कहानी करूणा और आक्रोशी तेवर रखते हुए भी भारतीय जातिवाद की त्र��सद स्वरूप को बेहद संजीदगी और रवानगी की चाशनी में डुबोकर यथार्थ की बारीक तह में जाकर रचनात्मकता की नई परिभाषा गढ़ लेती हैं। प्रस्तुत दलित कहानियां रचनाशीलता की एक ऐसी सच्ची दुनिया रचती हैं जिसमें मानवीय जीवन के लगभग हर रंग और मिज़ाज का वर्णन कुशलतापूर्वक हो सका है। इन कहानियों के चरित्र कहीं गैर दलितों के जातिवाद से सीधे-सीधे टकराते हुए नज़र आते हैं तो कहीं उनकी साजिशों, नफरतों और भ्रष्टाचारों का पर्दाफाश करते हुए नज़र आते हैं। इस कहानी संग्रह का एक उल्लेखनीय पक्ष यह है कि इसमें बड़ी संख्या में स्त्री दलित कहानीकार अपनी धारदार कहानियों के माध्यम से अपने साहित्यिक वजूद का निर्माण करती हैं। इनकी कहानियां दलित पितृसत्ता को बेनकाब करते हुए लिंग भेद के शोषण का निषेध करती हैं और समतामूलक समाज निर्माण की धारणा के प्रति आश्वस्त करती हैं। इस किताब में शामिल प्रत्येक कहानी अपनी रचनात्मकता के ऊर्जावान और बौद्धिक संपन्न होने का स्पष्ट संकेत देती है।

About the Author

नाम : डॉ. नामदेव
जन्म : 07 अगस्त 1971
शिक्षा : एम. ए. हिंदी साहित्य, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली
एम.फिल. एवं पीएचडी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
प्रकाशित पुस्तकें :
भारतीय मुसलमान : हिन्दी उपन्यासों के आईने में, 2009
दलित चेतना और स्त्री विमर्श, 200
जोतिबा फुले : सामाजिक क्रांति के अग्रदूत, 2012
पर्यावरण प्रदूषण : समाज, साहित्य और संस्कृति, 2012
आलोचना की तीसरी परंपरा और डॉ. जयप्रकाश कर्दम, 2014
स्त्री स्वर : अतीत और वर्तमान, 2019
छप्पर की दुनिया : मूल्यांकन और अवदान (2020)
साझेदारी के पक्ष में हिंदी कथा साहित्य (2020)
न समझे जाने का दर्द, (कविता संग्रह, 2020 )
दस पाठ्य पुस्तकें
पत्रिकाएं : हंस, इंद्रप्रस्थ भारती, वसुधा, बनास जन, मंतव्य, जन विकल्प, कदम, तद्भव, युद्धरत आम आदमी, सामाजिक न्याय संदेश, योजना, युगांतर टुडे, भाषा, सब लोग, समीक्षा, संवेद, सेतु, अनभै सांचा, सेकुलर डेमोक्रेसी समय सरोकार, वर्तमान संदर्भ, अणुं संकेत, हाशिए की आवाज, हम दलित, अंतिम जन, साहित्य मंडल पत्रिका (केरल), हिंदुस्तान, प्रभात खबर इत्यादि पत्र-पत्रिकाओं सहित विभिन्न किताबों में शोध – पत्र, आलेख, साक्षात्कार, कहानियाँ एवं कविताएं प्रकाशित।
एन.सी.ई.आर.टी. नई दिल्ली के भाषा विभाग द्वारा पुस्तक निर्माण समितियों में विषय विशेषज्ञ के रूप में शामिल |
संयोजक : प्रथम और द्वितीय दलित लिटरेचर फेस्टिवल 2019, 2020 अंबेडकर सोसायटी फॉर साउथ एशिया, लाहौर (पाकिस्तान) में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर पर व्याख्यान, दिसंबर, 2019
अतिथि संपादक : साहित्य विमर्श (दलित कहानी विशेषांक 2021, डायमंड बुक्स)
संपादक : रिदम पत्रिका (2019, 2020 )
रूचि : दलित, मुसलमान और स्त्री संदर्भित सामाजिक मुद्दों एवं हिन्दी कथा साहित्य में विशेष रूचि
संप्रति : प्रोफेसर, हिंदी विभाग, किरोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली, विश्वविद्यालय, दिल्ली- 7

वास्तव में आज की दलित कहानी करूणा और आक्रोशी तेवर रखते हुए भी भारतीय जातिवाद की त्रासद स्वरूप को बेहद संजीदगी और रवानगी की चाशनी में डुबोकर यथार्थ की बारीक तह में जाकर रचनात्मकता की नई परिभाषा गढ़ लेती हैं। प्रस्तुत दलित कहानियां रचनाशीलता की एक ऐसी सच्ची दुनिया रचती हैं जिसमें मानवीय जीवन के लगभग हर रंग और मिज़ाज का वर्णन कुशलतापूर्वक हो सका है। इन कहानियों के चरित्र कहीं गैर दलितों के जातिवाद से सीधे-सीधे टकराते हुए नज़र आते हैं तो कहीं उनकी साजिशों, नफरतों और भ्रष्टाचारों का पर्दाफाश करते हुए नज़र आते हैं। इस कहानी संग्रह का एक उल्लेखनीय पक्ष यह है कि इसमें बड़ी संख्या में स्त्री दलित कहानीकार अपनी धारदार कहानियों के माध्यम से अपने साहित्यिक वजूद का निर्माण करती हैं। इनकी कहानियां दलित पितृसत्ता को बेनकाब करते हुए लिंग भेद के शोषण का निषेध करती हैं और समतामूलक समाज निर्माण की धारणा के प्रति आश्वस्त करती हैं। इस किताब में शामिल प्रत्येक कहानी अपनी रचनात्मकता के ऊर्जावान और बौद्धिक संपन्न होने का स्पष्ट संकेत देती है।

About the Author

नाम : डॉ. नामदेव
जन्म : 07 अगस्त 1971
शिक्षा : एम. ए. हिंदी साहित्य, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली
एम.फिल. एवं पीएचडी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
प्रकाशित पुस्तकें :
भारतीय मुसलमान : हिन्दी उपन्यासों के आईने में, 2009
दलित चेतना और स्त्री विमर्श, 200
जोतिबा फुले : सामाजिक क्रांति के अग्रदूत, 2012
पर्यावरण प्रदूषण : समाज, साहित्य और संस्कृति, 2012
आलोचना की तीसरी परंपरा और डॉ. जयप्रकाश कर्दम, 2014
स्त्री स्वर : अतीत और वर्तमान, 2019
छप्पर की दुनिया : मूल्यांकन और अवदान (2020)
साझेदारी के पक्ष में हिंदी कथा साहित्य (2020)
न समझे जाने का दर्द, (कविता संग्रह, 2020 )
दस पाठ्य पुस्तकें
पत्रिकाएं : हंस, इंद्रप्रस्थ भारती, वसुधा, बनास जन, मंतव्य, जन विकल्प, कदम, तद्भव, युद्धरत आम आदमी, सामाजिक न्याय संदेश, योजना, युगांतर टुडे, भाषा, सब लोग, समीक्षा, संवेद, सेतु, अनभै सांचा, सेकुलर डेमोक्रेसी समय सरोकार, वर्तमान संदर्भ, अणुं संकेत, हाशिए की आवाज, हम दलित, अंतिम जन, साहित्य मंडल पत्रिका (केरल), हिंदुस्तान, प्रभात खबर इत्यादि पत्र-पत्रिकाओं सहित विभिन्न किताबों में शोध – पत्र, आलेख, साक्षात्कार, कहानियाँ एवं कविताएं प्रकाशित।
एन.सी.ई.आर.टी. नई दिल्ली के भाषा विभाग द्वारा पुस्तक निर्माण समितियों में विषय विशेषज्ञ के रूप में शामिल |
संयोजक : प्रथम और द्वितीय दलित लिटरेचर फेस्टिवल 2019, 2020 अंबेडकर सोसायटी फॉर साउथ एशिया, लाहौर (पाकिस्तान) में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर पर व्याख्यान, दिसंबर, 2019
अतिथि संपादक : साहित्य विमर्श (दलित कहानी विशेषांक 2021, डायमंड बुक्स)
संपादक : रिदम पत्रिका (2019, 2020 )
रूचि : दलित, मुसलमान और स्त्री संदर्भित सामाजिक मुद्दों एवं हिन्दी कथा साहित्य में विशेष रूचि
संप्रति : प्रोफेसर, हिंदी विभाग, किरोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली, विश्वविद्यालय, दिल्ली- 7

Additional information

Author

Dr. Naamdev

ISBN

9789356845503

Pages

150

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Junior Diamond

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9356845506

Flipkart

https://www.flipkart.com/21st-sadi-ki-21-shreshtha-dalit-kahaniyan/p/itme6cce2b221926?pid=9789356845503

ISBN 10

9356845506