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जब मेरी रुचि व्यंग्य क्षणिकाओं की ओर बढ़ी। नागपुर के अखबार में प्रतिदिन 4 से 6 लाइन की व्यंग्य क्षणिका का कॉलम लगभग 15 वर्षों तक चला। खनन भारती के प्रत्येक अंक में चार पृष्ठ क्रांतिकारियों पर प्रकाशित होते थे। अब ऐसा लगा क्यों न क्रांतिकारी साहित्य पर कार्य किया जाए। इस पर कार्य करने पर मुझे एक अलग आत्म संतुष्टि मिली। लगभग नौ पुस्तकें दिल्ली से प्रकाशित हुई तथा अभी कार्य जारी है।
Author | Rajendra Patoria |
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ISBN | 9789359646756 |
Pages | 104 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Junior Diamond |
Amazon | |
Flipkart | https://www.flipkart.com/51-shreshth-vyang-rachnayen-hindi/p/itm760c88218db43?pid=9789359646756 |
ISBN 10 | 935964675X |
जब मेरी रुचि व्यंग्य क्षणिकाओं की ओर बढ़ी। नागपुर के अखबार में प्रतिदिन 4 से 6 लाइन की व्यंग्य क्षणिका का कॉलम लगभग 15 वर्षों तक चला। खनन भारती के प्रत्येक अंक में चार पृष्ठ क्रांतिकारियों पर प्रकाशित होते थे। अब ऐसा लगा क्यों न क्रांतिकारी साहित्य पर कार्य किया जाए। इस पर कार्य करने पर मुझे एक अलग आत्म संतुष्टि मिली। लगभग नौ पुस्तकें दिल्ली से प्रकाशित हुई तथा अभी कार्य जारी है।
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