‘रामचरितमानस’ के ‘अरण्ययकाण्डट’ में, लक्ष्मतण जी ने, परमात्मात श्री राम से विनम्रतापूर्वक पांच प्रश्नं पूछे। लक्ष्माण जी की जिज्ञासा को शांत करने के लिए, श्रीराम ने “राम गीता” सुनाई। प्रभु ने सूत्रात्म्क भाषा में,माया, ज्ञान, वैराग्यि, जीव-शिव और भक्ति का निरूपण किया है। “राम गीता” में परमात्माि श्रीराम का, गुरु-रूप में दर्शन होता है। परम पूज्यम किरीट भाई ने उसी राम-गीता को रामभक्तोंा के लिए पुस्ताक रूप में समाने लाया है।
विष्णु उपासना
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साधना सूत्र हेरत हेरत हे सखी
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राम गीता
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‘रामचरितमानस’ के ‘अरण्ययकाण्डट’ में, लक्ष्मतण जी ने, परमात्मात श्री राम से विनम्रतापूर्वक पांच प्रश्नं पूछे। लक्ष्माण जी की जिज्ञासा को शांत करने के लिए, श्रीराम ने “राम गीता” सुनाई। प्रभु ने सूत्रात्म्क भाषा में,माया, ज्ञान, वैराग्यि, जीव-शिव और भक्ति का निरूपण किया है। “राम गीता” में परमात्माि श्रीराम का, गुरु-रूप में दर्शन होता है। परम पूज्यम किरीट भाई ने उसी राम-गीता को रामभक्तोंा के लिए पुस्ताक रूप में समाने लाया है।
Additional information
Author | Kirit Bhai |
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ISBN | 8128808559 |
Pages | 184 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128808559 |