पतंजलि योग दर्शन

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पातञजलि योगी है, परम योगी है, उन का योग-दर्शन कोई व्यागख्या नहीं है। कोई प्रयास नहीं है। योग, उपलब्धि है। यदि प्रयास करना पड़ेगा, तो केवल इसे एक ‘एक्सयरसाइज’ कहा जाएगा। यह तो जीवन में उतारने के लिए सू्त्र है। अभ्या्स नहीं करना। अभ्याकस करोगे, तो प्राप्त नहीं होगी। परम भागवत पुरुष कृष्णेमूर्ति ने यही कहा है-‘एकर्टलेस एफर्ट’, बिना प्रयास के प्रयास। एक सहजता जो हो जाती है। मानव जब सांस लेता है, तो उसके बारे में सोचता नहीं, सांस लेना सहज हो गया है। पातञजलि महाराज ने ‘समाधान प्रकरण’ में स्वचयं कहा है कि इस मार्ग पर चलना है, तो यह नहीं समझ्ना कि आप अकेले हें और अपने बल पर चल रहे हें। योग के प्रारम्भ के सूत्र में उनहोंने बतायाईश्वहर प्राणिधान है। परमात्मान का आश्रय ले कर जाना है, तो भटक जाओगे।

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पातञजलि योगी है, परम योगी है, उन का योग-दर्शन कोई व्यागख्या नहीं है। कोई प्रयास नहीं है। योग, उपलब्धि है। यदि प्रयास करना पड़ेगा, तो केवल इसे एक ‘एक्सयरसाइज’ कहा जाएगा। यह तो जीवन में उतारने के लिए सू्त्र है। अभ्या्स नहीं करना। अभ्याकस करोगे, तो प्राप्त नहीं होगी। परम भागवत पुरुष कृष्णेमूर्ति ने यही कहा है-‘एकर्टलेस एफर्ट’, बिना प्रयास के प्रयास। एक सहजता जो हो जाती है। मानव जब सांस लेता है, तो उसके बारे में सोचता नहीं, सांस लेना सहज हो गया है। पातञजलि महाराज ने ‘समाधान प्रकरण’ में स्वचयं कहा है कि इस मार्ग पर चलना है, तो यह नहीं समझ्ना कि आप अकेले हें और अपने बल पर चल रहे हें। योग के प्रारम्भ के सूत्र में उनहोंने बतायाईश्वहर प्राणिधान है। परमात्मान का आश्रय ले कर जाना है, तो भटक जाओगे।

Additional information

Author

Kirit Bhai

ISBN

8128808664

Pages

148

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128808664