क्या कहते है दर्शन
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दर्शन वे शास्त्र हैं जिनमें प्रकृति, आत्मा, परमात्मा और जीवन के अंतिम लक्ष्य का विवेचन है, जिनमें मोक्ष प्राप्त करना तथा ईश्वर में लीन हो जाना ही जीवन का अंतिम लक्ष्य बताया गया है। दर्शन छह बताए गए हैं- पूर्व मीमांसा, उत्तर मीमांसा, न्याय वैशेषिक, सांख्य और योग। हमारी मूल जिज्ञासा यही है कि हम क्या है। तथा हमारे होने और न होने के बीच इस अज्ञात शक्ति से हमारा क्या संबंध है? जो कुछ भी हम देखते हैं उसका चुतुदिर्क विकास हमारी बुद्धि के वृत में आ जाता है, वस्तुत यही से दर्शन का आविर्भाव होता है प्रस्तुत पुस्तक में दर्शन के इन्हीं महत्वपूर्ण प्रश्नों की चर्चा की गई है।
महेश शर्मा
Additional information
Author | Mahesh Dutt Sharma |
---|---|
ISBN | 8128811592 |
Pages | 160 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128811592 |
दर्शन वे शास्त्र हैं जिनमें प्रकृति, आत्मा, परमात्मा और जीवन के अंतिम लक्ष्य का विवेचन है, जिनमें मोक्ष प्राप्त करना तथा ईश्वर में लीन हो जाना ही जीवन का अंतिम लक्ष्य बताया गया है। दर्शन छह बताए गए हैं- पूर्व मीमांसा, उत्तर मीमांसा, न्याय वैशेषिक, सांख्य और योग। हमारी मूल जिज्ञासा यही है कि हम क्या है। तथा हमारे होने और न होने के बीच इस अज्ञात शक्ति से हमारा क्या संबंध है? जो कुछ भी हम देखते हैं उसका चुतुदिर्क विकास हमारी बुद्धि के वृत में आ जाता है, वस्तुत यही से दर्शन का आविर्भाव होता है प्रस्तुत पुस्तक में दर्शन के इन्हीं महत्वपूर्ण प्रश्नों की चर्चा की गई है।
महेश शर्मा
ISBN10-8128811592
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