घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्राय अक्षरश सत्य उतरती है। देहात में तो इनकी कहावतें प्रत्येक किसान को कंठस्थ हैं। अब तक कहावतों के जितने संग्रह निकले हैं सब मे पाठांतरों की भरमार हैं। इससे बहुत सी कहावतों के फल ठीक नहीं उतरते। प्रस्तुत संग्रह में देहात में प्रचलित पाठ को ही प्रधान माना गया है। इस संग्रह में बहुत सी कहावतें ऐसी हैं जो अब तक किसी भी संग्रह में नहीं आई हैं। कहावतों के अर्थ में भी पाठकगण बहुत अन्तर पाएंगे। इस संग्रह में प्रत्येक कहावत का वही अर्थ दिया गया है जो देहातों में प्रचलित है। आशा है कि पाठकगण इस संग्रह को बहुत पसंद करेंगे और हमारे परिश्रम को सफल करेंगे।
घाघ और बदरी की कहावतें
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घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्राय अक्षरश सत्य उतरती है। देहात में तो इनकी कहावतें प्रत्येक किसान को कंठस्थ हैं। अब तक कहावतों के जितने संग्रह निकले हैं सब मे पाठांतरों की भरमार हैं। इससे बहुत सी कहावतों के फल ठीक नहीं उतरते। प्रस्तुत संग्रह में देहात में प्रचलित पाठ को ही प्रधान माना गया है। इस संग्रह में बहुत सी कहावतें ऐसी हैं जो अब तक किसी भी संग्रह में नहीं आई हैं। कहावतों के अर्थ में भी पाठकगण बहुत अन्तर पाएंगे। इस संग्रह में प्रत्येक कहावत का वही अर्थ दिया गया है जो देहातों में प्रचलित है। आशा है कि पाठकगण इस संग्रह को बहुत पसंद करेंगे और हमारे परिश्रम को सफल करेंगे।
Additional information
Author | Devnarayan Diwedi |
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ISBN | 8128813684 |
Pages | 176 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128813684 |