सूफियों में एक कहावत है ‘जो तुझको ढूंढ़ता है, वह तुझकों कभी पाएगा नहीं और जो ढूंढ़ेगा ही नहीं, उसको तू कभी मिलेगा भी नहीं’ जो खोजता है, उसको मिलेगा नहीं और जो नहीं खोजेगा, उसको तो पता नही नहीं लगेगा। पूछा मुरीद ने, फिर मिले कैसे? हम ढूंढें, तो मिलता नहीं और हम न ढूंढ़े, तो मिलने का सवाल ही नहीं उठता। तो पिर अपने मालिक उल् मूल्क से मुलाकात होगी कैसे?’