मीठी-मीठी हंसाइयां
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मीठी-मीठी हंसाइयां
Additional information
Author | Kaka Hathrasi |
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ISBN | 8128818074 |
Pages | 152 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128818074 |
नाट्यशास्त्र में भरत ने हास्य के छह भेद बताए हैं- स्मित, हसित, विहसित, उपहसित अतिहसित। हमने इनमें एक अपनी ओर से आरोपित करके भरतमुनि को भी कर दिया चकित, उसका नाम है खिल्लसित। अर्थात् वह हास्य, जिसमें ‘हंसते-हंसते चेहरा फूल की तरह खिल जाए।’
इस प्रकार इस पुस्तक में आपको 7 प्रकार के हास्य प्राप्त होंगे। लेकिन होंगे उन्हीं को, जो हंसने-खिलखिलाने के हकदार हैं। किसी ने कहा है –
कलियुग में समझो उन्हें भाग्यवान इंसान।
जिनके चेहरे पर रहे सदा मधुर मुस्कान।
सदा मधुर मुस्कान, होंय वह शोभित ऐसे,
टपक रहे हों मुखड़े से रसगुल्ला जैसे।
उपन्यास में व्यर्थ समय मत नष्ट कीजिए,
मीठी-मीठी हंसाइयों का स्वाद लीजिए।
ISBN10-8128818074