पांव तले भविष्य
पांव तले भविष्य
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क्या हाथ की रेखाओं की तरह पादलत या पांव की-रेखाओं के माध्यम से मानव का भूत-भविष्य जाना जा सकता है? यदि हां तो पांव के तलवे व उसकी रेखाओं द्वारा भविष्य-कथन की परम्परा कब से प्रारंभ हुई? सर्वप्रथम पांव की रेखाओं का प्रामाणिक उल्लेख कहां, कौन-से ग्रंथ मिलता है? और फिर पांव की रेखाओं के माध्यम से भविष्य–कथन प्रणाली ने सार्वजनिक प्रचलन व प्रसिद्धि को क्यों नहीं प्राप्त किया? ये सभी प्रश्न एक बुद्धिजीवी व प्रबुद्ध जिज्ञासु के साथ मस्तिष्क में एक साथ सहज रूप से उठने स्वाभाविक हैं तथा इन प्रश्नों का सटीक व सामयिक समाधान अनिवार्य रूप से सर्वजनहिताय अपेक्षित भी है।
प्रस्तुत पुस्तक “पांव तले भविष्य” के माध्यम से लेखक ने प्राचीन मान्यताओं का नवीनीकरण किया है। इन्होंने ज्ञान का लोप न हो, इस दृष्टि को ध्यान में रखते हुए जनहितार्थ में इस पुस्तक को सुंदर ढंग से पाठकों के सामने प्रस्तुत किया है।
ISBN10-8171821278
Additional information
Author | Bhojraj Dwivedi |
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ISBN | 8171821278 |
Pages | 196 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8171821278 |
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