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Premrang Ras Odh Chadria by Osho-प्रेम-रंग रस ओढ़े चदरियां

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दूलनदास के साथ थोड़े दिन तक की यह यात्रा तुम्हारे जीवन में अविस्मरणीय हो सकती है। उनकी रोशनी में तुम अगर चल लो तो तुम्हें अपनी रोशनी की याद आ सकती है। ये थोड़े-से कदम जो दूलनदास के साथ लेने हैं, बहुत सम्हल-सम्हल कर लेना । ये पूजन के क्षण हैं। और अगर जिन्होंने जाना है उनके पास बैठकर भी जानना न घटे,
जिन्होंने पाया है उनके पास बैठकर भी पाने की प्रबल पुकार न उठे, प्यास न जगे-तो बड़े अभागे हो। क्योंकि उसके अतिरिक्त और कोई मार्ग ही नहीं है। सत्य की तरफ जाने का सत्संग के अतिरिक्त और कोई द्वार ही नहीं है । सद्गुरु संस्पर्श है अज्ञात का । सद्गुरु साक्षात है अज्ञात का । दृश्य है अदृश्य के लिए । परिचित है अपरिचित का । दूर-दूर की ध्वनि है लेकिन तुम्हारे कानों के पास, तुम्हारे हृदय के पास गूंजती हुई । लेकिन तुम्हारे विरोध में कोई मुक्ति संभव नहीं है, तुम्हारा सहयोग चाहिए। दूलनदास तुम्हारा हाथ अपने हाथ में ले सकते हैं लेकिन तुम ही दोगे तो, स्वेच्छा से दोगे तो । सत्य थोपे नहीं जाते, आरोपित नहीं किए जाते, आमंत्रित किए जाते हैं। सत्य का स्वागत करना होता है बंदनवार बांधकर, दीये जलाकर, आरती सजाकर । आरती सजाकर सुनना इन वचनों को। ये
बड़े प्रीति-रस पगे हैं। बंदनवार बांधकर, हृदय के द्वार खोलकर, पूजा का थाल सजाकर इन अमृत वचनों को अतिथि की भांति अपने अंतर्गृह में ले जाना। ये बीज बनेंगे, इनसे बड़े वृक्ष होंगे, इनसे तुम्हारी पृथ्वी और आकाश के
ISBN10-8171822606

प्रेम-रंग रस ओढ़े चदरियां-0
Premrang Ras Odh Chadria by Osho-प्रेम-रंग रस ओढ़े चदरियां
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प्रेम-रंग रस ओढ़े चदरियां” ओशो द्वारा प्रेम और भक्ति के गहरे रहस्यों पर आधारित प्रवचन है। इस पुस्तक में ओशो ने प्रेम को आत्म-जागरूकता का सबसे महत्वपूर्ण साधन बताया है, जो व्यक्ति को अपने अंदर छिपी शक्तियों को पहचानने में मदद करता है। यह पुस्तक प्रेम और भक्ति के माध्यम से आध्यात्मिक जागरूकता की खोज का संदेश देती है।

यह किस विषय पर आधारित है?

प्रेम-रंग रस ओढ़े चदरियां” ओशो के प्रवचनों का संग्रह है, जिसमें प्रेम, भक्ति, और आत्म-जागरूकता पर गहराई से चर्चा की गई है

ओशो ने प्रेम को किस प्रकार से परिभाषित किया है?

ओशो ने प्रेम को आत्म-जागरूकता और आध्यात्मिक जागरण का मार्ग बताया है, जो व्यक्ति को अपने भीतर की सच्चाई और शांति से परिचित कराता है।

भक्ति का क्या महत्व है?

भक्ति को ओशो ने आत्मा के जागरण का एक महत्वपूर्ण साधन बताया है। उनके अनुसार, भक्ति जीवन की गहराई को समझने और सच्चाई तक पहुंचने का मार्ग है।

क्या यह केवल आध्यात्मिक साधकों के लिए है?

नहीं, यह उन सभी के लिए है जो प्रेम और भक्ति की गहराई को समझना चाहते हैं। यह सामान्य पाठकों के लिए भी उपयुक्त है, जो जीवन में प्रेम और आध्यात्मिकता का अनुभव करना चाहते हैं।

ओशो ने किस तरह की शिक्षाएँ दी हैं?

ओशो ने प्रेम, भक्ति, और आध्यात्मिक जागरूकता पर आधारित शिक्षाएँ दी हैं, जो व्यक्ति को अपने जीवन को गहराई से समझने और जीने में मदद करती हैं।

क्या यह आत्म-जागरूकता के महत्व पर प्रकाश डालती है?

हां, इसमें ओशो ने आत्म-जागरूकता को प्रेम और भक्ति के माध्यम से प्राप्त करने का मार्ग बताया है। आत्म-जागरूकता से ही व्यक्ति अपनी आंतरिक शक्ति और सच्चाई को पहचान सकता है।

ओशो ने प्रेम को किस प्रकार से परिभाषित किया है?

ओशो ने प्रेम को आत्म-जागरूकता और आध्यात्मिक जागरण का मार्ग बताया है, जो व्यक्ति को अपने भीतर की सच्चाई और शांति से परिचित कराता है।

Additional information

Author

Osho

ISBN

8171822606

Pages

158

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8171822606