शिरडी साईं बाबा के अनन्य भक्त श्री रामकृष्ण जाजू के जीवन में कुछ वर्षों पूर्व एक परिवर्तन आया। वस्तुवादी जगत के शिखर पर पहुंच कर उन्होंने किन्हीं कारणों से महसूस किया कि दृश्यमान जगत की हर वस्तु माया सृजित और क्षणभंगुर है। सद्गुरु की आजवाज का गुंजन अंतर्मन में शुरू हो गया। वह साई भक्ति प्रवाह में बहने लगे।
इस धारा में बहते हुए इन्होंने कई रचनाओं का सृजन किया हैं ‘युगों-युगों के मसीहा’ उनका नया अवदान है। यह एक मौलिक रचना है जो न केवल बाबा के जीवन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि प्रस्तुत करती है अपितु उनकी व्यक्तिगत अनुभूति और प्रत्यक्ष ज्ञान को सहज अभिव्यक्ति देती है।
रामकृष्ण जाजू
युगों युगों के मसीहा साईं बाबा
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शिरडी साईं बाबा के अनन्य भक्त श्री रामकृष्ण जाजू के जीवन में कुछ वर्षों पूर्व एक परिवर्तन आया। वस्तुवादी जगत के शिखर पर पहुंच कर उन्होंने किन्हीं कारणों से महसूस किया कि दृश्यमान जगत की हर वस्तु माया सृजित और क्षणभंगुर है। सद्गुरु की आजवाज का गुंजन अंतर्मन में शुरू हो गया। वह साई भक्ति प्रवाह में बहने लगे।
इस धारा में बहते हुए इन्होंने कई रचनाओं का सृजन किया हैं ‘युगों-युगों के मसीहा’ उनका नया अवदान है। यह एक मौलिक रचना है जो न केवल बाबा के जीवन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि प्रस्तुत करती है अपितु उनकी व्यक्तिगत अनुभूति और प्रत्यक्ष ज्ञान को सहज अभिव्यक्ति देती है।
रामकृष्ण जाजू
Additional information
Author | Ramkrishan Jajoo |
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ISBN | 8171823211 |
Pages | 184 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8171823211 |