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ओशो ध्‍यान योग

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बीज को स्वयं की संभावनाओं का कोई भी पता नहीं होता है। ऐसा ही मनुष्य भी है। उसे भी पता नहीं है कि वह क्या है—क्या हो सकता है। लेकिन, बीज शायद स्वयं के भीतर झांक भी नहीं सकता है। पर मनुष्य तो झांक सकता है। यह झांकना ही ध्यान है। स्वयं के पूर्ण सत्य को अभी और यहीं जानना ही ध्यान है। …क्योंकि ध्यान ही वह द्वारहीन द्वार है जो कि स्वयं को स्वयं से परिचित कराता है।

—ओशो

ISBN10- 8171823491

ओशो ध्यान योग
ओशो ध्‍यान योग
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ओशो ध्यान योग” ध्यान की गहरी विधियों पर आधारित एक पुस्तक है, जिसमें ओशो ने ध्यान और योग के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त करने के मार्ग को सरल भाषा में समझाया है। यह पुस्तक योग और ध्यान की प्राचीन परंपराओं को आधुनिक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करती है, जिससे व्यक्ति अपने भीतर शांति और संतुलन पा सकता है।

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ओशो ध्‍यान योग

About the Author

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है। हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

ओशो ध्यान योग पुस्तक किस विषय पर है?

यह पुस्तक ध्यान और योग की गहरी विधियों पर आधारित है। ओशो ने इस पुस्तक में ध्यान के विभिन्न रूपों और उनके लाभों को समझाया है, जिससे पाठक आत्मज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

ओशो के अनुसार योग क्या है?

ओशो के अनुसार योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह जीवन का एक समग्र दृष्टिकोण है। योग का उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा का संतुलन प्राप्त करना है। ओशो योग को एक वैज्ञानिक पद्धति मानते थे, जो व्यक्ति को आत्मिक विकास की ओर ले जाती है। योग के प्रमुख पहलू जो ओशो ने बताए, वे हैं:
शरीर और मन का संतुलन (Body-Mind Balance):
ओशो के अनुसार योग का प्राथमिक उद्देश्य शरीर और मन को संतुलित करना है। शारीरिक आसनों (योगासन) और प्राणायाम (श्वास की तकनीक) के माध्यम से व्यक्ति अपने शरीर और मन को शांत और स्वस्थ रख सकता है।
आध्यात्मिक विकास (Spiritual Growth):
ओशो का मानना था कि योग का अंतिम उद्देश्य आत्मज्ञान (Self-realization) और परम सत्य की खोज है। योग के माध्यम से व्यक्ति अपने असली स्वरूप को पहचानता है और ईश्वर के साथ एकत्व की अनुभूति कर सकता है।
ध्यान और योग का संयोजन (Integration of Meditation and Yoga):
ओशो के अनुसार योग केवल शारीरिक आसनों तक सीमित नहीं है, बल्कि ध्यान योग का अनिवार्य हिस्सा है। योग के अभ्यास से शरीर और मन को तैयार करके ध्यान की गहराई में जाया जा सकता है।
योग और जीवनशैली (Yoga as a Way of Life):
ओशो के अनुसार योग केवल एक शारीरिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह एक जीवनशैली है। योग का उद्देश्य व्यक्ति के जीवन में शांति, संतुलन, और खुशी लाना है। योग के अभ्यास से व्यक्ति अपने जीवन को अधिक संपूर्ण और संतुलित बना सकता है।

ओशो के अनुसार ध्यान कैसे किया जाता है?

ओशो के अनुसार ध्यान एक ऐसी विधि है, जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने भीतर की शांति और जागरूकता को खोज सकता है। ध्यान का मूल उद्देश्य मन को शांत करना और विचारों से परे जाकर अपने असली अस्तित्व को जानना है। ओशो ने ध्यान के कई रूपों की व्याख्या की है, जैसे कि:
सक्रिय ध्यान (Active Meditation):
ओशो ने सक्रिय ध्यान विधियों पर जोर दिया, जैसे कि “डायनमिक मेडिटेशन” और “कुंडलिनी मेडिटेशन,” जहां शरीर की सक्रियता के माध्यम से मन को खाली किया जाता है। इसमें तेज श्वास-प्रश्वास, नृत्य, और चुपचाप बैठकर अपने भीतर की ऊर्जा को अनुभव करना शामिल होता है।
ध्यान में साक्षी भाव (Witnessing in Meditation):
ओशो का मानना था कि ध्यान में साक्षी भाव (Observing) रखना महत्वपूर्ण है। व्यक्ति को बिना किसी प्रयास के अपने विचारों और भावनाओं को देखना चाहिए, और उन्हें जाने देना चाहिए। इस विधि में धीरे-धीरे विचार कम होते जाते हैं, और व्यक्ति शून्य स्थिति में पहुंचता है।
अचेतन मन से ध्यान (Letting Go of the Subconscious):
ओशो ने ध्यान में गहरे अवचेतन विचारों और भावनाओं को छोड़ने का भी महत्व बताया। वह कहते हैं कि ध्यान के माध्यम से व्यक्ति अपने भीतर के दबे हुए विचारों और भावनाओं को भी मुक्त कर सकता है, जो उसे शांति और जागरूकता की ओर ले जाती हैं।

ध्यान योग का क्या महत्व है?

ध्यान योग मानसिक शांति, आत्मज्ञान और आंतरिक जागरूकता को बढ़ाने में मदद करता है। यह विधियाँ व्यक्ति को तनावमुक्त और जीवन में संतुलन स्थापित करने में सहायक होती हैं।

क्या ध्यान और योग एक जैसे हैं?

ध्यान और योग अलग-अलग विधियाँ हैं, लेकिन दोनों का उद्देश्य आत्मिक शांति और जागरूकता प्राप्त करना है। योग शरीर और मन को संतुलित करता है, जबकि ध्यान आत्मा को जागरूकता की ओर ले जाता है।

Additional information

Weight 352 g
Dimensions 20.32 × 12.7 × 1.27 cm
Author

Osho

ISBN

8171823491

Pages

144

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8171823491